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SC/ST क्रीमीलेयर में आरक्षण पर क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें कौन करेगा लागू

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भारत में आरक्षण व्यवस्था एक जटिल मुद्दा है, जो सामाजिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने “एससी/एसटी क्रीमीलेयर” (SC/ST Creamy Layer) से संबंधित एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।

क्या है क्रीमीलेयर? (What is Creamy Layer?)
“क्रीमीलेयर” (Creamy Layer) का मतलब उन व्यक्तियों से है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से अपने समुदाय के अन्य सदस्यों की तुलना में अधिक उन्नत हैं। यह सिद्धांत पहले केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण पर लागू होता था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे एससी/एसटी आरक्षण (SC/ST Reservation) में भी लागू करने की अनुमति दी है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरक्षण का लाभ वास्तव में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है? (What is the Supreme Court’s Verdict?)
अगस्त 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में “उप-वर्गीकरण” (Sub-Categorization) का अधिकार है। इसका मतलब है कि आरक्षण के लाभों को इन समूहों के भीतर सबसे वंचित लोगों तक पहुंचाने के लिए श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।

इस फैसले ने 2004 के ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले के निर्णय को पलट दिया, जिसमें उप-वर्गीकरण को असंवैधानिक बताया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 6-1 के बहुमत से कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन नहीं करता।

आरक्षण में क्रीमीलेयर का महत्व (Importance of Creamy Layer in Reservation)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रीमीलेयर सिद्धांत को लागू करना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आरक्षण का फायदा केवल जरूरतमंद और कमजोर वर्गों को मिले।

फैसले के अनुसार – 
आरक्षण पहली पीढ़ी तक सीमित: यदि किसी परिवार ने आरक्षण का लाभ लेकर बेहतर सामाजिक और आर्थिक दर्जा प्राप्त कर लिया है, तो अगली पीढ़ी को ये लाभ नहीं मिलना चाहिए।
समाज के सबसे वंचित वर्गों तक पहुंच: यह फैसला आरक्षण का लाभ उन लोगों तक पहुंचाने में मदद करेगा जो अब तक इससे वंचित रहे हैं।
डाटा आधारित नीति: न्यायालय ने राज्यों को सटीक डाटा और अनुभवजन्य साक्ष्यों के आधार पर क्रीमीलेयर की पहचान करने का निर्देश दिया है।

क्रीमीलेयर का निर्धारण कैसे होगा? (How Will Creamy Layer Be Identified?)
क्रीमीलेयर में उन व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा जिन्होंने आर्थिक और शैक्षणिक प्रगति के माध्यम से अपने समुदाय से अलग पहचान बनाई है। उदाहरण के लिए:

आर्थिक रूप से उन्नत लोग।
जिनके परिवार ने पहले ही आरक्षण का लाभ लेकर उच्च पद हासिल कर लिया है।
शिक्षा और अन्य संसाधनों तक पर्याप्त पहुंच रखने वाले व्यक्ति।

एससी/एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण के फायदे (Benefits of Sub-Categorization in SC/ST Reservation)
सही लाभार्थियों तक पहुंच: उप-वर्गीकरण ये सुनिश्चित करता है कि आरक्षण का लाभ समाज के सबसे कमजोर वर्गों तक पहुंचे।
सामाजिक समानता: ये आरक्षित समुदायों के भीतर मौजूद असमानताओं को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
राजनीतिक भागीदारी: उप-वर्गीकरण वंचित समूहों को अधिक प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।

एससी/एसटी क्रीमीलेयर लागू करने की चुनौतियां (Challenges in Implementing SC/ST Creamy Layer)
सटीक डाटा की कमी: क्रीमीलेयर की पहचान करने के लिए जाति और आर्थिक स्थिति का सटीक डाटा होना जरूरी है।
सामाजिक तनाव: उप-वर्गीकरण से समुदाय के भीतर विभाजन बढ़ सकता है।
राजनीतिक हस्तक्षेप: इस प्रक्रिया में निष्पक्षता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

कौन करेगा फैसले को लागू? (Who Will Implement the Decision?)
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस फैसले को लागू करना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। सरकार को ये सुनिश्चित करना होगा कि क्रीमीलेयर की पहचान निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो।

आगे का रास्ता (Way Forward)
ये फैसला आरक्षण नीतियों में एक नई दिशा प्रदान करता है। हालांकि इसे लागू करने में कई चुनौतियां होंगी, लेकिन ये समाज में समानता लाने और आरक्षण प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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