साल 2024 सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए सबसे गर्म साल साबित हुआ। ये रिकॉर्ड तोड़ गर्मी जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक घटनाओं का नतीजा रही। भारत में ये साल पिछले 123 सालों में सबसे गर्म दर्ज किया गया। आइए समझते हैं कि ये कैसे हुआ और इसके पीछे की वजहें क्या थीं।
भारत में 2024 कैसा रहा?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 2024 का वार्षिक औसत तापमान (Annual Mean Temperature) 25.75 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ये पिछले 123 सालों के औसत तापमान से 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक था। इससे पहले 2016 का औसत तापमान 0.54 डिग्री अधिक था। विशेषज्ञों के मुताबिक, 2016 से 2024 के बीच औसत तापमान में 0.11 डिग्री का इजाफा एक बड़ी बात है। ये दर्शाता है कि भारत में गर्मी का स्तर तेजी से बढ़ रहा है।
दुनिया के लिए 2024 और 2023
वैश्विक स्तर पर, 2023 तब तक का सबसे गर्म साल था। इस साल दुनिया का औसत तापमान 1.23 डिग्री सेल्सियस अधिक था। लेकिन 2024 ने इस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया।
साल 2024 में दुनिया का औसत तापमान 1.55 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जो कि पेरिस समझौते (Paris Agreement) की सीमा 1.5 डिग्री को पार कर गया। ये दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कितने गहरे हैं।
21वीं सदी में बढ़ती गर्मी
तापमान में बढ़ोतरी 21वीं सदी में तेजी से हुई है। भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि बीते 123 सालों में सबसे ज्यादा गर्म साल इसी सदी के हैं।
2024: 0.65 डिग्री अधिक
2016: 0.54 डिग्री अधिक
2009: 0.40 डिग्री अधिक
2010: 0.39 डिग्री अधिक
2017: 0.38 डिग्री अधिक
इतनी गर्मी क्यों बढ़ रही है?
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। जलवायु वैज्ञानिक मानते हैं कि इंसानी गतिविधियां, जैसे जंगलों की कटाई, उद्योगों से निकलने वाले गैस और वाहनों से होने वाला प्रदूषण, मुख्य कारण हैं। 2024 में गर्मी बढ़ने के पीछे एक और कारण अल नीनो प्रभाव (El Niño Effect) था। अल नीनो एक प्राकृतिक घटना है, जो महासागरों के पानी को गर्म कर देती है और इससे वैश्विक तापमान में इजाफा होता है।
क्या 2025 भी गर्म रहेगा?
मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2025 भी बहुत गर्म हो सकता है। हालांकि, इसमें ला नीना प्रभाव (La Niña Effect) का असर दिखेगा, जो तापमान को कुछ हद तक संतुलित कर सकता है। विश्व मौसम संगठन (WMO) ने अनुमान लगाया है कि 2025, दुनिया के सबसे गर्म तीन सालों में शामिल होगा।
2024 ने ये साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन एक वास्तविक और गंभीर चुनौती है। पेरिस समझौते की सीमाओं को पार करना बताता है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में हालात और बिगड़ सकते हैं। बढ़ती गर्मी का असर सिर्फ पर्यावरण पर ही नहीं, बल्कि इंसानों, जीव-जंतुओं और पूरी पृथ्वी पर पड़ रहा है।
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