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क्या भारत चीन की जगह ले पाएगा? जानिए विशेषज्ञों की राय

क्या भारत चीन की जगह ले पाएगा? जानिए विशेषज्ञों की राय
भारत और चीन की आर्थिक तुलना लंबे समय से की जाती रही है, खासकर जब बात ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की आती है। कोरोना महामारी के बाद से दोनों देशों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जहां चीन की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही है, वहीं भारत तेजी से उभरता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन क्या भारत वास्तव में अगला चीन बन सकता है? इस लेख में हम इसी सवाल का विश्लेषण करेंगे।
चीन की चुनौतियां और भारत की संभावनाएं
चीन की इकोनॉमी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें प्रमुख है उसकी उम्रदराज होती जनसंख्या। इसके चलते चीन की ग्रोथ रेट में गिरावट आई है। इसके विपरीत, भारत की आर्थिक ग्रोथ अभी भी मजबूत बनी हुई है। भारत की युवा श्रम शक्ति, बेहतर होते इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्लोबल स्तर पर सकारात्मक छवि ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ के लिए एक अच्छा माहौल तैयार किया है।
भारत की वर्तमान स्थिति
हालांकि, भारत की ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में हिस्सेदारी अभी सिर्फ 3% है, जबकि चीन की 30% है। लेकिन आने वाले दशक में भारत की यह हिस्सेदारी दोगुनी हो सकती है। UBS सिक्योरिटीज इंडिया की चीफ इकोनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन का मानना है कि भारत के पास मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी लाने का अच्छा मौका है, लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, श्रम उत्पादकता में कमी, और नियामकीय प्रक्रियाओं में देरी जैसी चुनौतियां इस प्रगति को प्रभावित कर सकती हैं।
भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं में अंतर
चीन के विपरीत, भारत की सेवाओं पर आधारित अर्थव्यवस्था और अलग शहरीकरण पैटर्न इस ओर इशारा करते हैं कि इसके ग्रोथ की राह कम पूंजी और एनर्जी पर आधारित होगी। इसके चलते भारत की ग्रोथ चीन जैसी नहीं होगी, खासकर एनर्जी और टेक्सटाइल्स वस्तुओं की मांग के मामले में। भारत को एक स्थायी और दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्य पाने के लिए अलग दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
क्या भारत बन सकता है अगला चीन?
महामारी के बाद से, भारत और चीन की आर्थिक तरक्की में काफी अंतर आया है। चीन की रिकवरी धीमी रही है, जबकि भारत की आर्थिक ग्रोथ अब तक मजबूत बनी हुई है। भारत का युवा और बढ़ता श्रम बल और उसके मुताबिक ग्लोबल वातावरण उसे एक अलग दिशा में ले जा रहे हैं। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि भारत जल्दी ही चीन की तरह बड़ी और समृद्ध अर्थव्यवस्था बन जाएगा, लेकिन लंबे समय में भारत का आकार और प्रभाव चीन के बराबर हो सकता है।
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