देश में रोजगार की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने एक बड़ी पहल की है। श्रम मंत्रालय ने घोषणा की है कि 20 केंद्रीय मंत्रालय मिलकर एक बड़ा डेटाबेस बनाएंगे। इस डेटाबेस का मकसद है देश में नौकरियों की मांग और लोगों की योग्यता को एक साथ देखना। इससे यह पता लगाना आसान होगा कि कहां किस तरह की नौकरियां हैं और उनके लिए कौन-कौन से लोग तैयार हैं।
इस महत्वपूर्ण काम की अगुवाई श्रम मंत्री मनसुख लाल मांडविया करेंगे। उनके साथ कई दूसरे मंत्रालयों के बड़े अधिकारी भी होंगे। इनमें विदेश मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, कंपनी मामलों का मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, कौशल विकास मंत्रालय और कपड़ा मंत्रालय शामिल हैं। ये सभी मिलकर इस डेटाबेस को बनाने और चलाने में मदद करेंगे।
श्रम मंत्रालय की सबसे बड़ी अधिकारी यानी श्रम सचिव सुमिता डावरा ने इस योजना के बारे में कुछ जरूरी बातें बताईं। उन्होंने कहा कि सभी मंत्रालयों के पास रोजगार से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने और उसे सही तरीके से दिखाने का एक तरीका होना चाहिए। यह नया डेटाबेस इसी काम आएगा। इससे यह पता लगाना आसान होगा कि सरकार की पुरानी और नई योजनाओं से कितने लोगों को नौकरियां मिल रही हैं।
सरकार चाहती है कि सभी मंत्रालय अपने-अपने रोजगार के आंकड़ों को ‘प्रयास’ नाम के एक खास वेबसाइट से जोड़ें। इससे सभी जानकारी एक जगह पर आ जाएगी और उसे देखना-समझना आसान होगा।
इस साल के बजट में सरकार ने रोजगार बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। उसने 2 लाख करोड़ रुपये का एक खास पैकेज बनाया है। इस पैकेज में तीन ऐसी योजनाएं हैं जो सीधे रोजगार से जुड़ी हैं। इन योजनाओं का मकसद है देश में नए-नए काम शुरू करना और लोगों को नौकरियां देना।
श्रम मंत्रालय इन तीनों योजनाओं को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा है। श्रम सचिव ने बताया कि वे इस महीने के अंत तक इन योजनाओं का खाका तैयार कर लेंगे। फिर इन योजनाओं को वित्त मंत्रालय देखेगा। उसके बाद सभी मंत्रालय मिलकर इन पर बात करेंगे। अंत में, देश के सबसे बड़े नेताओं की मीटिंग यानी मंत्रिमंडल की बैठक में इन योजनाओं पर मुहर लगेगी।
यह नया डेटाबेस उन तरीकों की जगह नहीं लेगा जो अभी देश में नौकरियों की गिनती के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) अभी जो तरीका इस्तेमाल करता है, वह चलता रहेगा। यह नया डेटाबेस उसके साथ-साथ काम करेगा। इससे नौकरियों के आंकड़े और ज्यादा सही हो जाएंगे।
इस महत्वपूर्ण काम के लिए जो बैठक होगी, उसमें सभी मंत्रालयों के बड़े अधिकारी शामिल होंगे। वे मिलकर यह तय करेंगे कि रोजगार के आंकड़े कैसे इकट्ठा किए जाएं और कैसे दिखाए जाएं। इस बैठक का मकसद है सभी मंत्रालयों की योजनाओं के आंकड़ों को एक जगह पर लाना। इससे यह देखना आसान होगा कि कौन सी योजना कितना काम कर रही है और कहां सुधार की जरूरत है।
श्रम मंत्रालय का यह कदम देश में रोजगार की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। इसके तहत नौकरियों के आंकड़ों को इकट्ठा करना, उन पर नजर रखना और उन्हें एक बड़े डेटाबेस में रखना शामिल है। यह डेटाबेस न सिर्फ मंत्रालयों को अपने काम को समझने में मदद करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि रोजगार के मामले में क्या-क्या हो रहा है।
यह पहल सिर्फ सरकार की योजनाओं को बेहतर बनाने में ही मदद नहीं करेगी, बल्कि देश के युवाओं के लिए नई नौकरियों के मौके भी बनाएगी। इससे यह भी पता चलेगा कि कितने लोगों को नौकरियां मिल रही हैं और कहां अभी और काम करने की जरूरत है। इस तरह, देश में रोजगार बढ़ाने के प्रयास और मजबूत होंगे।
इस नए डेटाबेस से सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि देश के अलग-अलग हिस्सों में किस तरह की नौकरियों की जरूरत है। इससे वह ऐसी योजनाएं बना सकेगी जो सही जगह पर सही तरह की नौकरियां पैदा करें। यह देश के युवाओं के लिए बहुत फायदेमंद होगा क्योंकि उन्हें अपनी योग्यता के हिसाब से काम मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
इस पहल से यह भी पता चलेगा कि किन क्षेत्रों में ज्यादा लोगों की जरूरत है और किन क्षेत्रों में कम। इससे सरकार और कंपनियां दोनों को यह तय करने में मदद मिलेगी कि कहां नए रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। यह जानकारी युवाओं के लिए भी बहुत उपयोगी होगी क्योंकि वे इसके आधार पर अपनी पढ़ाई और कौशल विकास की योजना बना सकेंगे।
20 मंत्रालयों का एक साथ आना इस बात का संकेत है कि सरकार रोजगार के मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है। यह एक ऐसा कदम है जो देश की अर्थव्यवस्था और युवाओं के भविष्य दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर यह योजना सही तरीके से लागू होती है, तो इससे न सिर्फ नौकरियों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि लोगों को सही नौकरियां मिलने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
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