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Mobile Ban in Polling Stations: अब मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन जमा कर सकेंगे मतदाता -चुनाव आयोग का नया नियम

Mobile Ban in Polling Stations: मतदान केंद्रों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध -चुनाव आयोग का नया नियम

Mobile Ban in Polling Stations: भारत में लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है उसका निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावी तंत्र। हर बार जब देश में चुनाव होते हैं, लाखों लोग अपने मताधिकार का उपयोग करने के लिए मतदान केंद्रों पर पहुँचते हैं। लेकिन कई बार छोटी-छोटी बातें, जैसे मोबाइल फोन का इस्तेमाल या मतदान केंद्र के आसपास प्रचार, इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने हाल ही में दो बड़े और महत्वपूर्ण नियम लागू किए हैं। पहला, मतदान केंद्र मोबाइल प्रतिबंध (Polling Station Mobile Ban) और दूसरा, 100 मीटर प्रचार सीमा (100 Meter Canvassing Limit)। ये नियम न केवल मतदान की गोपनीयता को बनाए रखेंगे, बल्कि हर वोटर के लिए एक सुरक्षित और सुगम अनुभव सुनिश्चित करेंगे।

यह कहानी उस बदलाव की है, जो भारत के हर मतदाता को प्रभावित करेगी। 24 मई 2025 को, निर्वाचन आयोग ने घोषणा की कि अब मतदान केंद्रों के अंदर मोबाइल फोन ले जाना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। यह नियम भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लागू होगा। आयोग ने यह फैसला इसलिए लिया, क्योंकि मोबाइल फोन का दुरुपयोग कई बार मतदान की गोपनीयता को भंग करता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोग मतदान के दौरान वीडियो बनाते हैं या तस्वीरें खींचते हैं, जो न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि दूसरों के मताधिकार को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन आयोग ने यह भी समझा कि आज मोबाइल फोन हर व्यक्ति की जरूरत बन चुका है, खासकर बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांगजनों (PwD) के लिए। इसलिए, मतदान केंद्र मोबाइल प्रतिबंध (Polling Station Mobile Ban) को लागू करने के लिए एक व्यावहारिक समाधान निकाला गया है।

नए नियम के तहत, मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में केवल बंद (स्विच ऑफ) मोबाइल फोन लाए जा सकते हैं। मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार पर विशेष मोबाइल जमा सुविधा उपलब्ध होगी, जहाँ वोटर अपने फोन को सुरक्षित रूप से जमा कर सकते हैं। इसके लिए पिजनहोल बॉक्स या जूट बैग जैसी व्यवस्थाएँ की जाएँगी। यह सुविधा सुनिश्चित करेगी कि मतदाता बिना किसी परेशानी के अपने फोन को जमा करके वोट डाल सकें। खास बात यह है कि स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, रिटर्निंग ऑफिसर कुछ मतदान केंद्रों को इस नियम से छूट दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी ग्रामीण क्षेत्र में जमा सुविधा बनाना मुश्किल हो, तो वहाँ विशेष व्यवस्था की जा सकती है। यह लचीलापन दिखाता है कि आयोग हर मतदाता की सुविधा को प्राथमिकता दे रहा है।

मतदान की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए, नियम 49M को और सख्ती से लागू किया जाएगा। यह नियम कहता है कि मतदान केंद्र के अंदर कोई भी ऐसी गतिविधि नहीं होनी चाहिए, जो वोट की गोपनीयता को खतरे में डाले। पहले भी कई बार ऐसी शिकायतें आई थीं कि लोग मतदान केंद्र के अंदर फोटो या वीडियो लेते हैं, जिससे वोटर की पहचान उजागर हो सकती है। मतदान केंद्र मोबाइल प्रतिबंध (Polling Station Mobile Ban) इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह रोक देगा। इससे न केवल मतदान प्रक्रिया निष्पक्ष रहेगी, बल्कि मतदाताओं का भरोसा भी बढ़ेगा।

मोबाइल प्रतिबंध के साथ-साथ, निर्वाचन आयोग ने मतदान केंद्रों के आसपास प्रचार गतिविधियों पर भी नकेल कसी है। अब 100 मीटर प्रचार सीमा (100 Meter Canvassing Limit) के तहत, मतदान के दिन किसी भी मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में प्रचार करना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। पहले, उम्मीदवार या उनके समर्थक मतदान केंद्रों के पास बूथ लगाकर अनौपचारिक वोटर स्लिप बाँटते थे, जो कई बार मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश होती थी। अब ऐसे बूथ केवल 100 मीटर की सीमा से बाहर ही लगाए जा सकते हैं। यह नियम सुनिश्चित करता है कि मतदाता बिना किसी दबाव या प्रभाव के अपने वोट का फैसला कर सकें।

ये नियम भारत के संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत बनाए गए हैं। इस अधिनियम में पहले से ही यह प्रावधान है कि मतदान के दिन और उससे एक दिन पहले प्रचार पर रोक रहती है। लेकिन 100 मीटर प्रचार सीमा (100 Meter Canvassing Limit) का नया नियम इसे और सख्त करता है। उदाहरण के लिए, 2024 के लोकसभा चुनाव में, मुंबई में कुछ मतदान केंद्रों के पास प्रचार सामग्री पाए जाने की शिकायतें आई थीं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए, आयोग ने अब स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह नियम खास तौर पर उन संवेदनशील मतदान केंद्रों पर लागू होगा, जहाँ भीड़ जमा होने या तनाव की आशंका रहती है।

इन सुधारों को राजनीतिक नेताओं ने भी सराहा है। गृह विभाग के राज्य मंत्री योगेश कदम ने कहा कि यह पहल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में मदद करेगी। उन्होंने खास तौर पर मोबाइल प्रतिबंध की तारीफ की, क्योंकि यह मतदान केंद्रों की सुरक्षा को बढ़ाएगा। उनके मुताबिक, कई बार लोग मतदान के दौरान वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल देते हैं, जो न केवल गोपनीयता भंग करता है, बल्कि सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है। मोबाइल जमा सुविधा इस समस्या का एक आसान और प्रभावी समाधान है। यह सुविधा खासकर उन मतदाताओं के लिए मददगार होगी, जो अपने फोन को घर पर छोड़कर नहीं आना चाहते।

नई पीढ़ी के लिए ये नियम और भी मायने रखते हैं। आज का युवा डिजिटल दुनिया में जीता है, जहाँ मोबाइल फोन उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन मतदान जैसे महत्वपूर्ण मौके पर, यह जरूरी है कि हर वोटर बिना किसी बाहरी प्रभाव के अपने मत का उपयोग करे। मतदान केंद्र मोबाइल प्रतिबंध (Polling Station Mobile Ban) और 100 मीटर प्रचार सीमा (100 Meter Canvassing Limit) जैसे नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि मतदान प्रक्रिया न केवल निष्पक्ष रहे, बल्कि हर मतदाता को अपनी आवाज बुलंद करने का मौका मिले। चाहे आप मुंबई जैसे महानगर में वोट डाल रहे हों या किसी छोटे गाँव में, ये नियम आपके मतदान अनुभव को सुरक्षित और आसान बनाएँगे।

निर्वाचन आयोग की यह पहल भारत के लोकतंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह दिखाता है कि आयोग न केवल बड़े सुधारों पर ध्यान दे रहा है, बल्कि छोटी-छोटी बातों को भी गंभीरता से ले रहा है। मोबाइल जमा सुविधा और प्रचार पर सख्ती जैसे कदम भले ही छोटे लगें, लेकिन इनका असर बहुत बड़ा होगा। यह न केवल मतदाताओं का भरोसा बढ़ाएगा, बल्कि भारत की चुनावी प्रक्रिया को दुनिया भर में एक मिसाल बनाएगा।

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