ओडिशा में मुख्यमंत्री की दौड़: नवीन पटनायक के 24 साल पुराने शासन पर विराम लगा है। बुधवार को उन्होंने राज्यपाल रघुबर दास को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर नए मुख्यमंत्री का चुनाव करने की जिम्मेदारी आ गई है।
अब यह तय करने की बारी है कि किसके कंधों पर राज्य की कमान सौंपी जाएगी। भाजपा की ओर से कई नामों पर विचार किया जा रहा है। सबसे प्रबल दावेदार पूर्व केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम माने जा रहे हैं।
ओडिशा भाजपा के दिग्गज नेताओं में से एक ओराम लंबे समय से इस राज्य की राजनीति से जुड़े हुए हैं। पारंपरिक रूप से एक आदिवासी गांव से आने वाले ओराम मजदूर परिवार में जन्मे और अपने पैरों पर खड़े होकर इतनी ऊंचाई हासिल की है। उनके पास अनुभव भी है और लोकप्रियता भी। कहा जा रहा है कि जनता की नजरों में वे एक लोकप्रिय चेहरा हैं।
लेकिन ओराम के अलावा भी कई और दावेदार हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मुख्यमंत्री बनने के दावेदारों में शामिल हैं। प्रधान भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और उन्होंने राज्य में पार्टी का ज्यादातर अभियान संभाला है। एक अनुभवी प्रशासक होने के नाते उनके नाम पर भी विचार किया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के चेहरे रहे संबित पात्रा भी इस रेस में शामिल हैं। डॉक्टर से राजनेता बने पात्रा के पास संवाद कला है और वे मीडिया को भी काफी अच्छे से मैनेज कर सकते हैं। हालांकि पिछले महीने जगन्नाथ पर की गई उनकी एक गलत टिप्पणी से वे विवादों में घिर गए थे।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गिरीश मुर्मू भी शीर्ष दावेदारों में शामिल हैं। पांडा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के करीबी माने जाते हैं और आरएसएस से भी उन्हें समर्थन प्राप्त है। वहीं मुर्मू सिविल सर्विस के अनुभवी और कर्मठ अधिकारी रहे हैं, इसलिए उनके नाम पर भी विचार किया जा रहा है।
इस तरह भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किसे चुनती है। क्या वह युवा रक्त को तवज्जो देगी या फिर अनुभव को ही प्राथमिकता देगी? इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि नया मुख्यमंत्री कैसे अपने दम पर काम करता है और पिछले शासन के दौरान उठे सवालों का जवाब कैसे देता है।