आज एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखी जा रही है जब मोदी सरकार अपनी तीसरी कार्यकाल का पहला बजट पेश कर रही है। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के वित्तीय रास्ते का मार्गदर्शन किया है। इस बजट में क्या-क्या है और इसके मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दें।
टैक्सपेयर्स के लिए बड़ा ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिॉ बढ़ा दी है। इसे सालाना 50,000 से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है। न्यू टैक्स रिजीम के तहत ये बदलाव किया गया है।
टैक्स स्लैब में भी किया गया बदलाव
इनकम टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, अब 15 लाख से ज्यादा इनकम होने पर 30 फीसदी का टैक्स लागू होगा।
अगर किसी की इनकम 3 लाख रुपये सालाना है, तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा।
3 से 7 लाख रुपये सालाना इनकम वालों को 5 फीसदी।
7 से ज्यादा और 10 लाख तक के इनकम पर 10 फीसदी
10 लाख से ज्यादा और 12 लाख तक की सालाना इनकम पर 15 फीसदी
12 लाख से ज्यादा और 15 लाख तक इनकम पर 20 फीसदी
15 लाख से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लागू होगा।
आर्थिक अवलोकन
सीतारमण ने अपने भाषण में भारत की नीतियों और मजबूत अर्थव्यवस्था पर विश्वास जताया। उन्होंने बताया कि भारत की महंगाई दर लगभग 4% है जो कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद नियंत्रण में है।
मुख्य प्राथमिकताएं
वित्त मंत्री ने आने वाले बजट के लिए सात मुख्य प्राथमिकताएं बताईं:
कृषि उत्पादकता: समृद्ध भारत के लिए कृषि उत्पादकता महत्वपूर्ण है।
रोजगार और कौशल विकास: रोजगार के अवसर बढ़ाना और कौशल में सुधार करना।
समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय: समावेशी विकास और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना।
बुनियादी ढांचा और निवेश: बुनियादी ढांचा मजबूत करना और निवेशों को प्रोत्साहित करना।
शहरी विकास: दीर्घकालिक शहरी विकास को मुद्दा बनाना।
ऊर्जा सुरक्षा: ऊर्जा सुरक्षा पर जोर देना।
अगली पीढ़ी के लिए सुधार: आने वाली पीढ़ियों को लाभान्वित करने के लिए सुधार करना।
बजट के मुख्य अंक
इस बार के बजट में कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएँ थीं:
गरीब, युवा, महिलाओं और समाजिक न्याय की दिशा में फोकस रहा।
आंध्र प्रदेश को ₹15,000 करोड़ का विशेष आर्थिक पैकेज घोषित किया गया।
बिहार में बोधगया-वैशाली एक्सप्रेसवे जैसी दो नई एक्सप्रेसवे की घोषणा की गई।
महाबोधि और विष्णु मंदिरों के लिए काशी विश्वनाथ की तर्ज पर विकास का निर्णय लिया गया।