भारत में AI पेशेवरों की मांग 2027 तक दोगुनी होने की संभावना है। इस मांग को पूरा करने के लिए कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का महत्व लगातार बढ़ रहा है। डेलॉयट इंडिया और नैसकॉम की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में AI पेशेवरों की मांग आने वाले तीन वर्षों में दोगुनी होने की संभावना है। 2027 तक, देश में AI पेशेवरों की संख्या 12,50,000 तक पहुँच सकती है, जो वर्तमान में 600,000 से 650,000 के बीच है। इस लेख में, हम AI पेशेवरों की बढ़ती मांग, कौशल विकास की ज़रूरत, और इस दिशा में उठाए गए कदमों पर चर्चा करेंगे।
AI पेशेवरों की मांग में वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में AI पेशेवरों की मांग 2027 तक बहुत तेजी से बढ़ने वाली है। इसका मुख्य कारण यह है कि देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने और इसे कुशलतापूर्वक संभालने के लिए उच्च कौशल वाले पेशेवरों की ज़रूरत है। वर्तमान में, AI और मशीन लर्निंग (ML) जैसे क्षेत्रों में युवाओं का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। इसके बावजूद, उद्योगों में AI को अपनाने की प्रवृत्ति और उच्च कौशल वाले AI पेशेवरों की कमी के बीच एक बड़ा अंतर है। अगर इस अंतर को समय रहते नहीं पाटा गया, तो नवाचार और आर्थिक वृद्धि की दर प्रभावित हो सकती है।
कौशल विकास की आवश्यकता
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि AI मार्केट के 25% से 35% की दर से वृद्धि करने की उम्मीद है, जिससे AI पेशेवरों की मांग और आपूर्ति का अंतर और बढ़ जाएगा। इस चुनौती का सामना करने के लिए, मौजूदा और नए AI पेशेवरों को उच्च स्तर के कौशल से लैस करना बेहद ज़रूरी है। डेलॉयट साउथ एशिया के टेक एंड ट्रांसफॉर्मेशन प्रेसिडेंट सतीश गोपालैया के अनुसार, सरकार, अकादमी, और उद्योग जगत के आपसी तालमेल से मौजूदा AI पेशेवरों को पुनः प्रशिक्षित कर और नए पेशेवरों को आधुनिक तकनीकी कौशल से लैस कर एक बेहतरीन और मजबूत प्रतिभा पूल तैयार किया जा सकता है।
समाधान और सुझाव
रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि उद्योग और अकादमी के बीच आपसी तालमेल होना चाहिए, ताकि AI प्रतिभा पूल तैयार किया जा सके। इसके तहत, इंटीग्रेटेड फाउंडेशनल AI कोर्स और प्रासंगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए। उद्योग हितधारकों को संपूर्ण कौशल विकास कार्यक्रम लागू करना चाहिए, जो फाउंडेशनल और एडवांस AI कौशल की आवश्यकताओं को पूरा कर सके। इस कार्यक्रम में थियरी और प्रैक्टिकल दोनों तरह का ज्ञान शामिल होना चाहिए, जिससे AI पेशेवरों को तैयार करने में मदद मिल सके।
इस प्रकार, अगर समय पर आवश्यक कदम उठाए गए तो भारत में AI पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ-साथ देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है।
ये भी पढ़ें: बांग्लादेश में हिंसा के चलते आईसीसी ने किया बड़ा फैसला, महिला टी20 वर्ल्ड कप 2024 अब यूएई में