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India China Relations: ब्रिक्स समिट में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात से मिली नई उम्मीद, समझें कारोबारी रिश्तों का पूरा गणित

India China Relations: ब्रिक्स समिट में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात से मिली नई उम्मीद, समझें कारोबारी रिश्तों का पूरा गणित
Chinese President Xi Jinping (R) shakes hands with Indian Prime Minister Narendra Modi during their visit at East Lake Guest House, in Wuhan, China, April 27, 2018. India's Press Information Bureau/Handout via REUTERS ATTENTION EDITORS - THIS PICTURE WAS PROVIDED BY A THIRD PARTY. NO RESALES. NO ARCHIVE

India China Relations: रूस के कजान शहर में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में एक ऐसी मुलाकात हुई है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पांच साल बाद हुई इस मुलाकात से भारत-चीन व्यापार (India-China Trade) में नए अवसरों की उम्मीद जगी है।

कारोबारी रिश्तों का उतार-चढ़ाव

भारत-चीन व्यापार (India-China Trade) में पिछले कुछ वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव आ गया था। 2021 में जहां दोनों देशों का कुल कारोबार 125.62 अरब डॉलर था, वह 2023 में घटकर 113.83 अरब डॉलर तक सिमट गया। यह गिरावट दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव और व्यापारिक प्रतिबंधों का नतीजा था।

2020 से पहले भारत में होली-दिवाली के त्योहारों पर चीन से पिचकारियां, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और बिजली की लड़ियां तक मंगाई जाती थीं। लेकिन गलवान की घटना के बाद कई भारतीय संगठनों ने चीनी सामानों का बहिष्कार शुरू कर दिया। भारतीय रेलवे ने एक चीनी कंपनी से 471 करोड़ का करार रद्द कर दिया और बीएसएनएल को चीनी टेलीफोन कंपनी ह्यूवेई के सामान के इस्तेमाल से रोक दिया गया।

सीमा विवाद से राजनीतिक समझौता

पूर्वी लद्दाख में सात ऐसे स्थान हैं जहां दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ था। इनमें गलवान, हॉट स्प्रिंग, गोगरा, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण छोर, डेपसांग प्लेन और डेमचॉक शामिल हैं। लेकिन अब द्विपक्षीय संबंधों में नई शुरुआत (New Beginning in Bilateral Relations) की उम्मीद जगी है। दोनों देशों के बीच 21 दौर की सैन्य वार्ता के बाद इन विवादित क्षेत्रों में तनाव कम करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए गए हैं।

व्यापार का वर्तमान परिदृश्य

आज भी भारत और चीन के बीच व्यापार का आंकड़ा काफी बड़ा है। भारत ने 2023 में चीन को 4455 तरह के सामान भेजे, जिनकी कीमत 15.33 बिलियन डॉलर थी। वहीं चीन से भारत ने 7481 तरह के सामान मंगाए, जिनकी कीमत 98.5 अरब डॉलर थी। भारत चीन को लौह अयस्क, इंजीनियरिंग का सामान और पेट्रोलियम उत्पाद भेजता है, जबकि चीन से इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी, परमाणु रिएक्टर के पुर्जे और रसायन मंगाता है।

India China Relations: कारोबारी विशेषज्ञों की राय

अर्थशास्त्री जयंत कृष्णा के अनुसार, भले ही पिछले चार साल राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से अच्छे नहीं रहे, लेकिन व्यापार लगातार बढ़ता गया। वर्तमान में भारत का चीन के साथ करीब 85 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है। भारत के इलेक्ट्रॉनिक सामानों का 30 प्रतिशत हिस्सा अकेले चीन से आता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों देश मिलकर काम करें तो एक ऐसी मजबूत अर्थव्यवस्था बन सकती है, जिसका कोई मुकाबला नहीं कर पाएगा।

राजनीतिक और कूटनीतिक पहल

भारत और चीन के बीच तनाव कम करने के लिए कई स्तरों पर प्रयास किए गए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच कई बार बातचीत हुई। इसी साल जुलाई और अगस्त में दोनों नेता दो बार मिले। सितंबर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और वांग यी की भी मुलाकात हुई। इन सभी बैठकों का सकारात्मक प्रभाव अब दिखने लगा है।

India China Relations: भविष्य की संभावनाएं

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने बताया है कि भारत-चीन सीमा के पास पेट्रोलिंग और 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे। इससे पहले जो क्षेत्र बफर जोन के रूप में छोड़े गए थे, वहां भी अब गश्त की जा सकेगी। हालांकि इस समझौते की विस्तृत जानकारी अभी आनी बाकी है।

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