महाराष्ट्र में इस समय हलाल और झटका मटन को लेकर सियासत गरमाई हुई है। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे के बयान के बाद राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। अब इस बहस में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सांसद उदयन राजे भोसले भी कूद पड़े हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शिवाजी महाराज ने कभी हिंदू-मुस्लिम के बीच भेदभाव नहीं किया था।
उदयनराजे भोसले का बयान: ‘जो खाना चाहता है, वो खाए’
उदयनराजे भोसले ने कहा, “मैं नॉनवेज नहीं खाता, लेकिन जो खाना चाहता है, वो खा सकता है। शिवाजी महाराज की नीति कभी भी धार्मिक भेदभाव की नहीं थी। अगर ऐसा होता, तो हम मुगलों की दासता में होते।”
उनका ये बयान महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे के उस ऐलान के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि अब झटका और हलाल मटन के लिए अलग-अलग प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे। इससे हिंदू समुदाय के लोग हलाल मटन खाने से बच सकेंगे।
नितेश राणे का क्या बयान था?
नितेश राणे ने कहा था कि हिंदू लोगों को हलाल मटन खाने की जरूरत नहीं है, इसलिए उनके लिए अलग से झटका मटन का प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। उन्होंने मुस्लिम दुकानदारों से मटन न खरीदने की भी बात कही थी।
विपक्ष ने कसा तंज
राणे के इस बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। NCP (SP) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, “अब क्या नितेश राणे तय करेंगे कि लोगों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?” तो वहीं कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा, “एक जिम्मेदार मंत्री को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।”
वहीं नितेश राणे ने कहा कि झटका मटन हिंदू समुदाय को “शुद्ध” मांस प्रदान करेगा, जिससे मटन में किसी भी प्रकार की मिलावट को रोका जा सके। उन्होंने इसे एक गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रिया बताया, लेकिन विपक्ष इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा बता रहा है।
गौरतलब है कि हलाल बनाम झटका मटन की ये बहस राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है। जहां एक ओर नितेश राणे इसे हिंदू समुदाय के अधिकारों से जोड़ रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे सामाजिक विभाजन की साजिश बता रहा है। इस विवाद के चलते महाराष्ट्र की राजनीति में नई दरारें उभर रही हैं, जिसका असर भविष्य की चुनावी राजनीति पर भी पड़ सकता है।
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