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Rohit Vemula Act: क्या है रोहित वेमुला एक्ट, 3 राज्यों में लाने की तैयारी में कांग्रेस; राहुल गांधी ने लिखा पत्र

Rohit Vemula Act: क्या है रोहित वेमुला एक्ट, 3 राज्यों में लाने की तैयारी में कांग्रेस; राहुल गांधी ने लिखा पत्र

Rohit Vemula Act: भारत जैसे देश में, जहां शिक्षा को सामाजिक बदलाव का सबसे बड़ा हथियार माना जाता है, वहां जातिगत भेदभाव का दंश आज भी कई छात्रों के सपनों को कुचल रहा है। इस गंभीर मुद्दे को संबोधित करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पार्टी ने ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ (Rohit Vemula Act) को लागू करने का वादा किया है, जिसका मकसद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हाल ही में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इस कानून को लागू करने की मांग की है। यह कदम न केवल शिक्षा में समानता (Equality in Education) की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, बल्कि उन लाखों छात्रों के लिए भी उम्मीद की किरण है, जो भेदभाव का सामना करते हैं।

रोहित वेमुला की कहानी और एक आंदोलन का जन्म

रोहित वेमुला का नाम आज सिर्फ एक व्यक्ति का नाम नहीं, बल्कि एक आंदोलन का प्रतीक बन चुका है। हैदराबाद विश्वविद्यालय के इस होनहार छात्र ने जनवरी 2016 में कथित तौर पर जातिगत भेदभाव के कारण अपनी जान दे दी थी। उनकी मृत्यु ने पूरे देश में शिक्षा संस्थानों में व्याप्त भेदभाव के खिलाफ एक व्यापक बहस छेड़ दी। रोहित की कहानी ने यह सवाल उठाया कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था वाकई में सभी के लिए समान अवसर प्रदान करती है? उनकी मृत्यु ने न केवल सामाजिक अन्याय को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में भी जातिगत भेदभाव कितना गहरा है।

इसी दुखद घटना से प्रेरित होकर कांग्रेस पार्टी ने 2023 में अपने रायपुर महाधिवेशन में ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ (Rohit Vemula Act) लाने का संकल्प लिया। इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य है कि कोई भी छात्र जातिगत भेदभाव का शिकार न हो और हर किसी को शिक्षा में समानता (Equality in Education) का अधिकार मिले। राहुल गांधी ने इस अधिनियम को लागू करने के लिए कांग्रेस शासित राज्यों—कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश—के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इस दिशा में तेजी से काम करने का आग्रह किया है।

राहुल गांधी का पत्र और एक नई शुरुआत

17 अप्रैल 2025 को राहुल गांधी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखा। इससे पहले उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को भी ऐसा ही पत्र भेजा था। इन पत्रों में उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ लागू करना इसलिए जरूरी है ताकि कोई भी छात्र उस दर्द और अपमान को न झेले, जो बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर, रोहित वेमुला और लाखों अन्य लोगों ने झेला। राहुल गांधी ने अपने पत्रों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए लिखा कि जब तक हर छात्र को बिना भेदभाव के सम्मान, सुरक्षा और समान अवसर नहीं मिलेगा, तब तक हमारी शिक्षा व्यवस्था न्यायपूर्ण नहीं हो सकती।

इन पत्रों में राहुल गांधी ने बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने शिक्षा को वंचित वर्गों के सशक्तिकरण का सबसे बड़ा साधन माना था। लेकिन यह बेहद दुखद है कि आज भी लाखों छात्र शिक्षा संस्थानों में भेदभाव का सामना कर रहे हैं। रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्रों की मृत्यु ने यह साबित किया है कि हमारी व्यवस्था में अभी भी गहरी खामियां हैं।

भेदभाव का दंश और खोए हुए सपने

रोहित वेमुला की कहानी अकेली नहीं है। पायल तड़वी, जो एक आदिवासी मेडिकल छात्रा थीं, और दर्शन सोलंकी, जो आईआईटी बॉम्बे के छात्र थे, इन सभी ने जातिगत भेदभाव के कारण अपनी जान गंवाई। ये घटनाएं न केवल व्यक्तिगत त्रासदियां हैं, बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान भी हैं। ये युवा भारत के भविष्य थे, लेकिन भेदभाव ने उनके सपनों को अधूरा छोड़ दिया। राहुल गांधी ने अपने पत्र में इन घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी त्रासदियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस का यह प्रस्तावित अधिनियम इन्हीं मुद्दों को संबोधित करने की कोशिश है। यह कानून न केवल छात्रों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करेगा, बल्कि शिक्षा संस्थानों में भेदभाव को रोकने के लिए सख्त नियम भी लागू करेगा। यह अधिनियम उन छात्रों के लिए एक ढाल बनेगा, जो अपनी जाति या सामाजिक पृष्ठभूमि के कारण उत्पीड़न का सामना करते हैं।

युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा

आज की युवा पीढ़ी के लिए ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम वाकई में एक ऐसे समाज में रहना चाहते हैं, जहां किसी की जाति उसके सपनों की राह में बाधा बने? यह अधिनियम न केवल वंचित वर्गों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, जो शिक्षा को समानता का आधार मानता है।

कांग्रेस की इस पहल ने युवाओं के बीच एक नई चर्चा छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के पत्र और इस अधिनियम की खबरें तेजी से वायरल हो रही हैं। युवा इस बात को समझ रहे हैं कि शिक्षा में भेदभाव को खत्म करना न केवल सामाजिक न्याय के लिए जरूरी है, बल्कि यह देश के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। एक ऐसा देश, जहां हर छात्र को बिना किसी डर के अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिले, वही भारत का असली भविष्य होगा।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

भारत की संस्कृति में शिक्षा को हमेशा से ही सर्वोच्च स्थान दिया गया है। बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने जीवन के जरिए यह दिखाया कि शिक्षा के बल पर कोई भी व्यक्ति अपनी नियति बदल सकता है। लेकिन यह विडंबना है कि आज भी वही शिक्षा व्यवस्था कई लोगों के लिए संघर्ष का कारण बनी हुई है। ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ इस ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने की दिशा में एक कदम है। यह हमें आंबेडकर के सपनों को साकार करने की याद दिलाता है—एक ऐसा भारत, जहां हर व्यक्ति को उसकी योग्यता के आधार पर अवसर मिले, न कि उसकी जाति के आधार पर।

यह अधिनियम न केवल कानूनी बदलाव लाएगा, बल्कि यह समाज में एक नई चेतना भी जगाएगा। यह हमें यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि हमारी जिम्मेदारी सिर्फ अपने सपनों को पूरा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि हमें एक ऐसी व्यवस्था बनाने में भी योगदान देना है, जहां हर किसी को समान अवसर मिले।

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