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Personal Safety Education: बच्चों के यौन शोषण की रोकथाम, अर्पण ने NCERT के साथ मिलकर शुरू की क्रांतिकारी पहल

Personal Safety Education: बच्चों के यौन शोषण की रोकथाम, अर्पण ने NCERT के साथ मिलकर शुरू की क्रांतिकारी पहल

Personal Safety Education: बचपन को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा है, जब अर्पण (Arpan) ने अपनी निजी सुरक्षा शिक्षा (Personal Safety Education) को NCERT की पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया। यह उपलब्धि न केवल बच्चों को यौन शोषण से बचाने की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव है, बल्कि यह लाखों बच्चों तक सुरक्षित भविष्य की उम्मीद भी लेकर आई है। अर्पण, जो पिछले दो दशकों से बच्चों के यौन शोषण (Child Sexual Abuse) की रोकथाम और उपचार के लिए काम कर रहा है, अब देश भर के स्कूलों में अपनी पहुंच को और मजबूत कर रहा है। इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण पहल की कहानी को सरल और आकर्षक तरीके से समझेंगे, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है।

मुंबई में स्थापित अर्पण ने हमेशा से बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने का सपना देखा। इसके संस्थापक पूजा तापरिया की अगुवाई में यह संगठन न केवल बच्चों को शिक्षित करता है, बल्कि माता-पिता, शिक्षकों और समुदाय को भी जागरूक करता है। हाल ही में, अर्पण ने NCERT की चौथी कक्षा की पर्यावरण अध्ययन (EVS) पाठ्यपुस्तक में अपनी निजी सुरक्षा शिक्षा (Personal Safety Education) को शामिल कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया। इस पहल के तहत, बच्चे अब स्कूल में ही सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श (Safe and Unsafe Touch) के बारे में सीखेंगे। यह शिक्षा उन्हें न केवल खतरे को पहचानने में मदद करेगी, बल्कि जरूरत पड़ने पर मदद मांगने का आत्मविश्वास भी देगी।

अर्पण की यह उपलब्धि इसलिए खास है, क्योंकि यह बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए स्कूली शिक्षा को एक शक्तिशाली माध्यम बनाती है। पहले, ऐसी शिक्षा केवल विशेष कार्यशालाओं या कार्यक्रमों तक सीमित थी, लेकिन अब यह देश भर के स्कूलों की पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा है। चौथी कक्षा के बच्चे, जो उम्र के उस पड़ाव पर होते हैं जहां वे बुनियादी समझ विकसित कर रहे होते हैं, अब आसान और आयु-अनुकूल तरीके से निजी सुरक्षा के नियम सीखेंगे। अर्पण ने इस पाठ्यक्रम को तैयार करने में अपनी दो दशकों की विशेषज्ञता का उपयोग किया, ताकि बच्चे बिना डर के यह शिक्षा ग्रहण कर सकें।

इस पहल की शुरुआत कई सालों की मेहनत और सहयोग का नतीजा है। अर्पण ने NCERT के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि पाठ्यक्रम बच्चों की समझ के हिसाब से हो। उदाहरण के लिए, बच्चों को कहानियों और गतिविधियों के माध्यम से बताया जाता है कि कौन से स्पर्श ठीक हैं और कौन से नहीं। यह शिक्षा उन्हें यह भी सिखाती है कि अगर वे असहज महसूस करें, तो वे अपने विश्वसनीय बड़ों से मदद मांग सकते हैं। इस तरह की शिक्षा बच्चों में आत्मविश्वास जगाती है और उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए सशक्त बनाती है।

अर्पण का प्रभाव केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है। इस संगठन ने पिछले एक साल में आठ लाख बच्चों और वयस्कों तक अपनी निजी सुरक्षा शिक्षा (Personal Safety Education) पहुंचाई। कुल मिलाकर, अर्पण ने 1.9 करोड़ लोगों को जागरूक किया है, जिनमें से 10 लाख लोग प्रत्यक्ष कार्यक्रमों के माध्यम से, 30 लाख प्रशिक्षण साझेदारों के जरिए और 1.5 करोड़ लोग डिजिटल और पाठ्यक्रम एकीकरण के माध्यम से शामिल हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि अर्पण बच्चों के यौन शोषण की रोकथाम में भारत का सबसे बड़ा गैर-लाभकारी संगठन बन चुका है।

इसके अलावा, अर्पण ने शिक्षकों और माता-पिता को भी प्रशिक्षित करने पर जोर दिया। शिक्षक, जो बच्चों के सबसे करीब होते हैं, अब अर्पण के प्रशिक्षण के बाद यौन शोषण के मामलों को पहचानने और उसका जवाब देने में सक्षम हैं। माता-पिता को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे अपने बच्चों से खुलकर बात करें और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए सही कदम उठाएं। इस तरह, अर्पण एक पूर्ण मॉडल तैयार कर रहा है, जो न केवल बच्चों को सशक्त बनाता है, बल्कि पूरे समुदाय को सुरक्षा की संस्कृति अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

अर्पण की एक और महत्वपूर्ण पहल है इसका वार्षिक अभियान, जिसे चाइल्ड सेफ्टी वीक (CSW) के नाम से जाना जाता है। नवंबर में आयोजित इस अभियान का छठा संस्करण ‘POCSO द्वारा संरक्षित’ थीम पर आधारित था। इस अभियान ने न केवल जागरूकता फैलाई, बल्कि यौन शोषण करने वालों को कड़ा संदेश भी दिया। यह अभियान देश भर में लोगों को एकजुट करने और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का एक शक्तिशाली मंच बन चुका है।

यह कहानी केवल एक संगठन की मेहनत की नहीं है, बल्कि उन लाखों बच्चों की उम्मीद की है, जो अब सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। अर्पण की यह पहल दिखाती है कि शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से हम अपने समाज को बेहतर बना सकते हैं। NCERT की पाठ्यपुस्तकों में निजी सुरक्षा शिक्षा (Personal Safety Education) का एकीकरण एक ऐसी शुरुआत है, जो आने वाली पीढ़ियों को न केवल सुरक्षित रखेगी, बल्कि उन्हें अपनी आवाज उठाने का साहस भी देगी।


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