Bengali idol style: क्या आप जानते हैं कि मां की ये खूबसूरत प्रतिमाएं कैसे बनती हैं? नवरात्रि दुर्गा idols की दुनिया बड़ी रंगीन है। हर जगह अपनी-अपनी शैली है। बंगाली मूर्ति शैली सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। कोलकाता के कुमारटुली इलाके में ये कला सदियों से चली आ रही है। आइए, इसकी कहानी सुनें।
कोलकाता का कुमारटुली मूर्तियों का घर है। यहां सैकड़ों कारीगर साल भर मेहनत करते हैं। जून-जुलाई से काम शुरू हो जाता है। मूर्तियां बनाने के लिए गंगा की पवित्र मिट्टी इस्तेमाल होती है। इसमें भूसा, बांस, चावल का छिलका और शोला नाम की सफेद हल्की लकड़ी मिलाई जाती है। शोला से मुकुट और आभूषण बनते हैं। बंगाली शैली की खासियत है नक्काशी। मां दुर्गा की आंखें बड़ी और तिरछी होती हैं। ये शक्ति और भक्ति दिखाती हैं। महालय के दिन आंखें चोकखु दान रस्म से रंगी जाती हैं। लगता है मूर्ति जीवंत हो गई। परंपरा के मुताबिक, मिट्टी में वेश्यालय की मिट्टी भी मिलाई जाती है। ये सब मिलाकर मूर्तियां इतनी जीवंत बनती हैं कि देखने वाले ठहर जाते हैं।
भारत के दूसरे इलाकों में भी दुर्गा idols की अपनी कहानी है। उत्तर भारत के वाराणसी और लखनऊ में गंगा मिट्टी से मूर्तियां बनती हैं। ग्रामीण इलाकों में कागज और मिट्टी का मिश्रण इस्तेमाल होता है। गुजरात में गरबा के साथ दुर्गा प्रतिमाएं धातु या संगमरमर से बनी होती हैं। ये चमकदार और रंग-बिरंगी होती हैं। मिरर वर्क से सजी ये मूर्तियां नृत्य और उत्सव की मस्ती दिखाती हैं। कर्नाटक में विजयनगर शैली का जलवा है। मूर्तियां जटिल आभूषणों और नक्काशी से सजी होती हैं। मंदिरों की तरह ये मूर्तियां शाही अंदाज में बनी होती हैं।
पटना की बात अलग है। बिहार की राजधानी में नवरात्रि पर 5000 से ज्यादा दुर्गा प्रतिमाएं बनती हैं। इनमें 70 फीसदी बंगाली पाला शैली की होती हैं। नवरात्रि से एक महीने पहले बंगाल से 1000 से ज्यादा कलाकार आते हैं। वे स्थानीय कारीगरों के साथ मिलकर काम करते हैं। पहले पाला शैली में कई देवता एक फ्रेम में होते थे। अब मौर्य शैली का असर है। हर देवता अलग फ्रेम में दिखता है। आंखें गंभीर और भावपूर्ण रहती हैं। ये मिश्रण नई ऊर्जा ला रहा है। पटना के पंडालों में ये मूर्तियां देखने लायक हैं।
नवरात्रि दुर्गा idols सिर्फ मिट्टी के टुकड़े नहीं। ये भक्ति, कला और परंपरा का संगम हैं। बंगाली मूर्ति शैली से लेकर विजयनगर दुर्गा कला तक, हर शैली में मां की शक्ति झलकती है। कोलकाता से पटना तक, कारीगरों की मेहनत नवरात्रि को रंगीन बना देती है।