UP Assembly by-elections: उत्तर प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल जारी है, और इस बार ध्यान उपचुनावों पर है। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ये “उत्तर प्रदेश उपचुनाव” (UP by-elections) बड़े संकेत दे सकते हैं कि किसकी पकड़ राज्य में मजबूत होगी। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच इस बार की राजनीति सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं रही। महाराष्ट्र में सीटों को लेकर भी अखिलेश और कांग्रेस के बीच गहरा मंथन हो रहा है।
उत्तर प्रदेश में अखिलेश बनाम बीजेपी
उत्तर प्रदेश के पिछले दो विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी ने राज्य में 2017 और 2022 में सत्ता कायम रखी, लेकिन अखिलेश यादव की पार्टी सपा हमेशा से ही एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी रही है। अब, 2024 के उपचुनाव में, सपा का सामना सीधी टक्कर में बीजेपी से है।
इन उपचुनावों को सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ये चुनाव राजनीतिक हवा का रूख तय कर सकते हैं। अखिलेश यादव ने कुछ सीटों पर पहले से ही उम्मीदवारों का नाम तय कर दिया है, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातचीत अभी अधर में है।
“उत्तर प्रदेश उपचुनाव” (UP by-elections) में सपा और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर दिखाई दे रही है। मायावती की बसपा का प्रभाव पहले जैसा नहीं है, और चंद्रशेखर आजाद की पार्टी दलित युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रही है। ऐसे में अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि वह विपक्ष के बीच एकता कैसे कायम रखें।
महाराष्ट्र की राजनीति में अखिलेश का दांव
महाराष्ट्र में अखिलेश यादव की नजरें 10 सीटों पर हैं। समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश में है। पार्टी के पास वर्तमान में महाराष्ट्र विधानसभा में दो विधायक हैं, लेकिन अखिलेश की योजना इस संख्या को बढ़ाने की है। इसी हफ्ते अखिलेश यादव महाराष्ट्र का दौरा करने वाले हैं और 18 अक्टूबर को मालेगांव और धुले में जनसभाएं करेंगे।
महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का अच्छा-खासा जनाधार है, खासकर मुस्लिम समुदाय में। अखिलेश यादव का AIMIM के साथ रिश्ता हमेशा से विवादित रहा है, और वह मानते हैं कि ओवैसी की पार्टी मुस्लिम वोटों का विभाजन करती है। इस बार, अखिलेश महाराष्ट्र में अपने लिए जगह बनाने के लिए कांग्रेस से सीटों की मांग कर रहे हैं।
अखिलेश का कांग्रेस के लिए सीधा संदेश है: “महाराष्ट्र में हमें सम्मानजनक सीटें दें, और यूपी में आपको समर्थन मिलेगा।” यह ‘दो हाथ से ताली’ वाला फार्मूला कांग्रेस के लिए एक कड़ा संदेश है कि वह यूपी में समर्थन चाहती है तो महाराष्ट्र में सपा को सीटें देनी होंगी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का रोल
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव (UP Assembly by-elections) में कांग्रेस की स्थिति दिलचस्प है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने सार्वजनिक मंचों पर 10 में से 5 सीटें मांगी हैं, लेकिन अखिलेश केवल दो सीटें देने के मूड में हैं। सूत्रों का कहना है कि गाजियाबाद सीट कांग्रेस को दी जा सकती है, और अगर महाराष्ट्र में सपा को मनचाही सीटें मिलती हैं, तो खैर और मीरापुर सीट भी कांग्रेस के हिस्से में जा सकती है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की दोस्ती ‘एक हाथ दो, एक हाथ लो’ के सिद्धांत पर टिकी है। अगर कांग्रेस महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी को सीटें देती है, तो उसे यूपी में सम्मानजनक सीटें मिल सकती हैं। लेकिन अगर बात नहीं बनी, तो दोनों दलों का गठबंधन मुश्किल में पड़ सकता है।
अखिलेश की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा
अखिलेश यादव का ध्यान सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं है। वह राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पार्टी का विस्तार करने में जुटे हैं। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन भले ही कमजोर रहा हो, लेकिन अखिलेश की नजरें उन राज्यों पर हैं जहां उनकी पार्टी मजबूत हो सकती है। महाराष्ट्र उनमें से एक है।
अखिलेश के इस कदम से कांग्रेस के लिए एक कड़ा संदेश है। वह महाराष्ट्र में बिना किसी समझौते के सीटें नहीं छोड़ेंगे, और यूपी में भी कांग्रेस को सीमित समर्थन मिलेगा। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की इस सियासी जंग में देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस अखिलेश के साथ इस ‘दो हाथ से ताली’ वाले फॉर्मूले पर सहमत होती है।
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