अगर आपके पास किसी कंपनी के शेयर हैं, और सालों से आपने उन पर मिलने वाले लाभांश (डिविडेंड) को नहीं लिया है, तो जल्दी ही ये शेयर और डिविडेंड सरकार के पास जमा हो सकते हैं। जी हां, वित्त मंत्रालय भारत के बैंकिंग कानून में एक अहम बदलाव लाने की तैयारी में है।
आपको बता दें कि भारत में कंपनियों से जुड़े कानून कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act) के तहत आते हैं। इस कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति सात साल तक कंपनी के शेयरों से मिलने वाले लाभांश को नहीं लेता है, तो वह रकम ‘इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड’ (IEPF) यानी ‘निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष’ में चली जाती है। बैंकिंग सेक्टर को नियंत्रित करने वाले ‘बैंकिंग कंपनीज (अंडरटेकिंग अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम, 1970’ में अभी तक ऐसा प्रावधान सिर्फ लाभांश के लिए है।
आने वाले बदलाव से, सरकारी बैंकों को भी यह अधिकार मिल जाएगा कि वह बिना दावे वाले शेयरों को भी IEPF में स्थानांतरित यानी ट्रांसफर कर सकें। इस प्रस्तावित संशोधन की खास बात ये है कि निवेशक बाद में भी अपना दावा पेश कर, इस फंड से अपनी रकम और शेयर वापस पा सकेंगे। इसके लिए ज़रूरी दस्तावेज़ देने होंगे और पूरी जांच के बाद ही यह संभव होगा। वित्त मंत्रालय का मानना है कि इससे सरकारी बैंकों के पास पड़ी लावारिस संपत्ति को बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक अच्छा कदम है| इससे ना सिर्फ बैंकों में पड़े लावारिस धन का सही उपयोग होगा, बल्कि निवेशकों को लेकर पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी भी बढ़ेगी। इससे लोगों का भारत के वित्तीय सिस्टम में भरोसा मजबूत होने की उम्मीद है।
फिलहाल, जो निजी कंपनियां या बैंक ‘कंपनी अधिनियम 2013’ के दायरे में आते हैं, वह पहले से ही लावारिस शेयरों और लाभांश को IEPF में भेजते हैं। माना जा रहा है कि बैंकिंग कानून में बदलाव से इस प्रक्रिया में पूरे वित्तीय सेक्टर में एकरूपता आएगी।