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Beware of QR Code and VPN Scams: साइबर ठगी का नया जाल, QR कोड स्कैम और फर्जी VPN से कैसे बचें

Beware of QR Code and VPN Scams: साइबर ठगी का नया जाल, QR कोड स्कैम और फर्जी VPN से कैसे बचें

Beware of QR Code and VPN Scams: आज के डिजिटल युग में इंटरनेट हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। चाहे ऑनलाइन खरीदारी हो, बिल पेमेंट हो या जानकारी हासिल करना, हर काम बस एक क्लिक की दूरी पर है। लेकिन इस आसानी के साथ-साथ खतरे भी बढ़ रहे हैं। हाल ही में भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) ने देशभर में एक चेतावनी जारी की है, जिसमें QR कोड स्कैम (QR Code Scam) और फर्जी VPN धोखाधड़ी (Fake VPN Fraud) जैसे साइबर अपराधों से सावधान रहने की बात कही गई है। यह खबर हर उस इंसान के लिए जरूरी है, जो अपने फोन या कंप्यूटर का इस्तेमाल करता है। आइए, इस खतरे की कहानी को और करीब से समझते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं QR कोड स्कैम (QR Code Scam) की। QR कोड आज हर जगह दिखाई देता है—रेस्तरां के मेन्यू से लेकर पार्किंग के पेमेंट काउंटर तक। ये छोटा सा काला-सफेद चौकोर कोड स्कैन करने में आसान होता है, लेकिन यही आसानी अब ठगों का हथियार बन रही है। CERT-In की चेतावनी के अनुसार, ठग फर्जी QR कोड बनाकर लोगों को झांसा दे रहे हैं। जब कोई इन कोड्स को स्कैन करता है, तो वह अनजाने में ऐसी वेबसाइट्स या ऐप्स पर पहुंच जाता है, जो उसकी निजी जानकारी चुरा लेती हैं। मिसाल के तौर पर, मान लीजिए आप किसी रेस्तरां में मेन्यू देखने के लिए QR कोड स्कैन करते हैं, लेकिन वह कोड आपको किसी ऐसी साइट पर ले जाता है, जो आपके बैंक खाते का पासवर्ड मांगती है। ऐसे में आपका एक गलत कदम बड़ा नुकसान करा सकता है।

खास बात यह है कि ये फर्जी QR कोड कई बार बिल्कुल असली जैसे दिखते हैं। ठग इन कोड्स को सार्वजनिक जगहों पर—जैसे बस स्टॉप, पोस्टर या फ्लायर्स पर—लगा देते हैं। एक बार एक नौजवान ने सोचा कि वह पार्किंग का भुगतान करने के लिए QR कोड स्कैन कर रहा है, लेकिन बाद में पता चला कि उसके खाते से पैसे गायब हो गए। CERT-In ने सलाह दी है कि किसी भी QR कोड को स्कैन करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वह भरोसेमंद स्रोत से है। अगर कोड किसी छोटे URL पर ले जाता है या उसमें कुछ संदिग्ध दिखता है, तो उसे तुरंत स्कैन करने से बचें।

अब बात करते हैं फर्जी VPN धोखाधड़ी (Fake VPN Fraud) की। VPN यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क एक ऐसी तकनीक है, जो आपके इंटरनेट कनेक्शन को सुरक्षित रखती है। यह आपकी ऑनलाइन गोपनीयता की रक्षा करता है, लेकिन ठग इसका भी गलत फायदा उठा रहे हैं। CERT-In की चेतावनी के मुताबिक, साइबर अपराधी मशहूर VPN सॉफ्टवेयर के नाम पर नकली वेबसाइट्स और ऐप्स बना रहे हैं। ये नकली वेबसाइट्स बिल्कुल असली जैसी दिखती हैं—यहां तक कि इनमें वही लोगो और डिजाइन भी होता है, जो असली VPN ऐप्स में होता है। लेकिन जैसे ही कोई इनसे कोई फाइल डाउनलोड करता है, उसके डिवाइस में मैलवेयर यानी हानिकारक सॉफ्टवेयर डाउनलोड हो जाता है।

ऐसे में एक गलत क्लिक आपके फोन या कंप्यूटर को हैकर्स के हवाले कर सकता है। एक बार एक युवा ने सोचा कि वह मुफ्त में एक मशहूर VPN डाउनलोड कर रहा है, लेकिन बाद में उसके फोन से निजी तस्वीरें और बैंक जानकारी चोरी हो गई। ठग इन नकली VPN ऐप्स के जरिए पासवर्ड, बैंक खाते की जानकारी और यहां तक कि आपके फोन का पूरा कंट्रोल भी हासिल कर सकते हैं। CERT-In ने बताया कि ये ठग ऐसी वेबसाइट्स बनाते हैं, जिनके नाम असली वेबसाइट्स से मिलते-जुलते होते हैं। इसलिए किसी भी VPN को डाउनलोड करने से पहले उसकी आधिकारिक वेबसाइट की जांच करना जरूरी है।

फिशिंग स्कैम भी इस खतरे का एक बड़ा हिस्सा हैं। यह एक ऐसी तरकीब है, जिसमें ठग खुद को किसी भरोसेमंद संगठन—जैसे बैंक या सरकारी संस्था—का होने का दावा करते हैं। वे फर्जी ईमेल, मैसेज या वेबसाइट्स के जरिए आपसे पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर या दूसरी संवेदनशील जानकारी मांगते हैं। CERT-In ने बताया कि ऐसे मैसेज में अक्सर गलत स्पेलिंग, अजीब वेबसाइट लिंक या जल्दबाजी में जवाब देने की बात होती है। मिसाल के तौर पर, आपको एक मैसेज मिल सकता है कि आपका बैंक खाता बंद होने वाला है और आपको तुरंत लिंक पर क्लिक करना है। लेकिन असल में वह लिंक आपको ठगों के जाल में फंसा देता है।

यह सब सुनकर शायद मन में डर बैठ जाए, लेकिन सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है। CERT-In की चेतावनी हर उस इंसान के लिए एक जागरूकता का संदेश है, जो इंटरनेट का इस्तेमाल करता है। चाहे वह कोई स्टूडेंट हो, जो ऑनलाइन पढ़ाई करता है, या फिर कोई कारोबारी, जो डिजिटल पेमेंट करता है—हर किसी को इन खतरों के बारे में जानना जरूरी है। ठगों का मकसद सिर्फ एक है—आपकी मेहनत की कमाई और निजी जानकारी चुराना। लेकिन अगर हम थोड़ा सतर्क रहें, तो इनके मंसूबों को नाकाम कर सकते हैं।


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