बॉम्बे हाई कोर्ट ने टाटा केमिकल्स समेत कई कंपनियों पर ‘घटिया नमक’ बनाने और बेचने के मामले में लगाया गया जुर्माना रद्द कर दिया है। इस फैसले से कंपनियों को बड़ी राहत मिली है।
दरअसल 2016 में महाराष्ट्र के बुलढाणा में फूड सेफ्टी अपीलेट ट्रिब्यूनल ने टाटा केमिकल्स और अन्य कंपनियों पर घटिया आयोडीन युक्त नमक बनाने और बेचने का आरोप लगाते हुए जुर्माना लगाया था। इस फैसले के खिलाफ कंपनियों ने हाई कोर्ट में अपील की थी।
हाईकोर्ट ने क्यों रद्द किया जुर्माना?
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में कई तरह की गड़बड़ियां और प्रक्रियागत खामियां थीं। कोर्ट ने पाया कि जिस फूड एनालिस्ट की रिपोर्ट के आधार पर नमक को घटिया बताया गया था, उस रिपोर्ट पर कंपनियों ने सवाल उठाए थे। मामला आगे की जांच के लिए रेफरल फूड लैबोरेटरी (RFL) को भेजा गया था, लेकिन RFL की रिपोर्ट भी संतोषजनक नहीं थी।
समय सीमा का उल्लंघन
हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि RFL ने जांच के लिए तय समय सीमा का उल्लंघन किया था। जिसके कारण सैंपल की गुणवत्ता और उसके वर्गीकरण पर सवाल उठे।
न्यायाधीश अनिल पंसारे का बयान
न्यायमूर्ति अनिल पंसारे ने अपने आदेश में कहा, “RFL ने 2011 के नियमों में निर्धारित समय सीमा का पालन नहीं किया है। इसलिए, रिपोर्ट अनिवार्य प्रावधानों के गैर-अनुपालन से ग्रस्त है। ऐसी रिपोर्ट के आधार पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता।”
यकीनन ये फैसला कंपनियों के लिए एक बड़ी जीत है और ये दिखाता है कि कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता कितनी महत्वपूर्ण है। इससे खाद्य सुरक्षा के मामलों में भविष्य में होने वाली जांचों में भी सुधार की उम्मीद है।
हाई कोर्ट ने FSSAI को निर्देश दिया है कि वो भविष्य में ऐसे मामलों में प्रक्रियात्मक अनुपालन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उचित दिशानिर्देश जारी करे।
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