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Burail Jail Break: 94 फुट सुरंग, पानी का शोर और भूख हड़ताल… सुखबीर सिंह बादल के हमलावर नारायण ने कैसे तोड़ी थी बुड़ैल जेल?

Burail Jail Break: 94 फुट सुरंग, पानी का शोर और भूख हड़ताल… सुखबीर सिंह बादल के हमलावर नारायण ने कैसे तोड़ी थी बुड़ैल जेल?

Burail Jail Break: पंजाब की बुड़ैल जेल से 2004 में हुए जेल ब्रेक कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस घटना में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों को जेल से भागने में सफलता मिली। जेल के भीतर बनाई गई 94 फुट गहरी सुरंग (94-Foot Deep Tunnel) और सुरंग बनाने की बेहद चौंकाने वाली योजना ने इस जेल ब्रेक को भारतीय इतिहास के सबसे चर्चित मामलों में शामिल कर दिया।

बुड़ैल जेल और कैदियों की साजिश

यह कहानी जनवरी 2004 में शुरू होती है, जब बुड़ैल जेल के बैरक नंबर-7 में बंद चार आतंकियों ने एक खतरनाक योजना बनाई। इन कैदियों में जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भ्यौरा, और जगतार सिंह तारा जैसे कुख्यात खालिस्तानी आतंकी शामिल थे। इन सभी को पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या का दोषी पाया गया था।

कैसे बनी 94 फुट की सुरंग?

सुरंग बनाने का काम 21 जनवरी, 2004 को शुरू हुआ। इसके लिए आतंकियों ने जेल प्रशासन को धोखा देने के लिए अनूठी रणनीति बनाई।

उन्होंने सबसे पहले भूख हड़ताल की घोषणा की और मांग की कि उन्हें जेल में बेहतर सुविधाएं दी जाएं। उनकी मांगों में जिम उपकरण शामिल थे। जेल प्रशासन ने यह मांग मान ली, और यहीं से उनकी योजना का पहला कदम सफल हो गया।

जिम के डंबल और वेट लिफ्टिंग रॉड का इस्तेमाल सुरंग की खुदाई के लिए किया गया। जेल ब्रेक के दौरान बाहर निकलने वाली मिट्टी को अंदर ही ठिकाने लगा दिया जाता था। सबसे खास बात यह थी कि खुदाई के स्थान पर पास में बहते पानी की तेज आवाज़, सुरंग बनाने की गतिविधियों को छिपाने में मदद करती थी।

नारायण सिंह चौरा का अहम किरदार

जेल ब्रेक में खालिस्तानी आतंकी नारायण सिंह चौरा (Narayan Singh Choura) का नाम प्रमुखता से सामने आया।

नारायण सिंह पर आरोप था कि उसने जेल के अंदर मोबाइल फोन और अन्य उपकरण पहुंचाने में मदद की। उसने जेल ब्रेक वाली रात बिजली गुल कराने के लिए तार फेंकने का काम भी किया।

गुप्त कोड और सुरक्षा के इंतजाम

जेल ब्रेक की योजना को गुप्त रखने के लिए आतंकियों ने असली नामों की बजाय कोडवर्ड का इस्तेमाल किया। इस साजिश को अंजाम देने के लिए हर कदम पर सटीक प्लानिंग की गई थी।

जेल के बाहर बिजली की नियमित कटौती का फायदा उठाया गया। नारायण सिंह ने जेल की बिजली व्यवस्था में हस्तक्षेप कर जेल ब्रेक को और आसान बना दिया।

जेल प्रशासन की भूमिका: मिलीभगत का आरोप

इस कांड में जेल प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई। जांच एजेंसी का दावा था कि जेल ब्रेक में जेल स्टाफ की मिलीभगत थी।

जेनरेटर लॉग बुक में छेड़छाड़ की गई। तारीख और समय बदलकर साजिश को अंजाम दिया गया। हालांकि, अदालत में जांच एजेंसी की थ्योरी टिक नहीं सकी और सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।

क्या था 94 फुट गहरी सुरंग का राज?

सुरंग 94 फुट गहरी और बेहद संकरी थी, ताकि इसमें से केवल एक व्यक्ति एक बार में निकल सके। सुरंग को बाहर से किसी भी तरह से पहचाना नहीं जा सकता था। इसे इस तरह डिजाइन किया गया था कि जेल प्रशासन को इसकी भनक तक न लगे।

सुरंग बनाने के लिए कैदियों ने एक-एक रात मेहनत की। उनकी प्लानिंग इतनी सटीक थी कि सुरंग के छोर पर पहुंचने के बाद भी कोई बड़ी आवाज नहीं हुई।


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