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जातिगत जनगणना से समाज का एक्स-रे होगा, आरक्षण की सीमा बढ़ाने की जरूरत: राहुल गांधी

जातिगत जनगणना से समाज का एक्स-रे होगा, आरक्षण की सीमा बढ़ाने की जरूरत: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने एक बार फिर से जातिगत जनगणना की मांग को लेकर आवाज उठाई है। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। प्रयागराज में एक सभा और उसके बाद सोशल मीडिया पर दिए गए उनके बयान ने इस मुद्दे को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है।

जातिगत जनगणना: सामाजिक न्याय का आधार

राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि जातिगत जनगणना उनके लिए केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह नीति निर्माण का आधार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “कांग्रेस के लिए जातिगत जनगणना नीति निर्माण की बुनियाद है। बिना जाति जनगणना के, हम भारत की वास्तविकता के बारे में नीतियां नहीं बना सकते।” उनके अनुसार, समाज के विभिन्न तबकों की सही-सही गिनती करके ही हम उन्हें सशक्त बना सकते हैं और उन्हें विकास की मुख्यधारा में ला सकते हैं।

समाज का एक्स-रे

राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को समाज का “एक्स-रे” बताया। उनके अनुसार, “90 प्रतिशत बहुजन, दलित, आदिवासी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, और गरीब सामान्य वर्ग के लोग इस व्यवस्था से बाहर हैं। उनके पास हुनर और ज्ञान है, लेकिन वे सामाजिक और आर्थिक रूप से उपेक्षित हैं।” गांधी का मानना है कि जातिगत जनगणना के माध्यम से इन वर्गों की सही पहचान हो सकेगी और उनके विकास के लिए विशेष नीतियां बनाई जा सकेंगी।

जातिगत जनगणना: संविधान की रक्षा का माध्यम

राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को संविधान की रक्षा से जोड़ा है। उन्होंने कहा, “जिस तरह हमारा संविधान मार्गदर्शक है और इस पर हर दिन हमला किया जा रहा है, उसी तरह जाति जनगणना भी सामाजिक न्याय के लिए एक नीतिगत ढांचा है।” उन्होंने यह भी कहा कि “यह लड़ाई विचारधारा की है और यह जारी रहेगी।”

सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण

जातिगत जनगणना के माध्यम से यह भी पता चलेगा कि देश के संसाधनों का वितरण कैसे हो रहा है और कौन-कौन से वर्ग इस प्रतिनिधित्व में पीछे छूट गए हैं। गांधी ने यह भी सुझाव दिया कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को रिवाइज़ किया जा सकता है ताकि सबको सरकारी संस्थानों और शिक्षा में उचित और न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व मिल सके।

राहुल गांधी की जातिगत जनगणना की मांग न केवल एक राजनीतिक बयान है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। उन्होंने इसे संविधान की रक्षा के लिए भी जरूरी बताया है। गांधी के इस मिशन को लेकर देश में व्यापक चर्चा हो रही है, और आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और समाज इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है।

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