महाराष्ट्र में चुनाव आयोग ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब शिक्षकों को अपनी शिक्षण ड्यूटी को छोड़कर राजनीतिक प्रचार में लगने पर रोक लगाई जाएगी।
चुनावी समय में अक्सर देखा गया है कि कुछ शिक्षक अपनी शिक्षण जिम्मेदारियों को छोड़कर राजनीतिक प्रचार में सक्रिय हो जाते हैं। इससे न केवल उनके शैक्षिक कर्तव्य प्रभावित होते हैं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी प्रश्न उठता है।
चुनाव आयोग के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब शिक्षकों की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी और यदि वे अपने शैक्षिक कर्तव्यों को नजरअंदाज करते हुए पाए गए, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस निर्णय का मकसद शिक्षकों को उनके मुख्य कार्य पर केंद्रित रखना है और चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को बनाए रखना है। शिक्षक संघों ने इस दिशा-निर्देश का विरोध किया है, जबकि निजी स्कूलों के प्रिंसिपलों ने इसे स्वागत किया है।
शिक्षक संघों का कहना है कि उनके सेवा नियम उन्हें किसी भी राजनीतिक आयोजन में भाग लेने से नहीं रोकते, जबकि चुनाव आयोग के अनुसार, शिक्षकों को अपने शैक्षिक कर्तव्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए।