Garuda Squad: दुनिया की सुरक्षा चुनौतियां तेजी से बदल रही हैं। ड्रोन, जो कभी मनोरंजन और तकनीकी प्रगति का प्रतीक थे, अब सुरक्षा के लिए चिंता का कारण बन गए हैं। लेकिन, तेलंगाना पुलिस ने इन खतरों से निपटने के लिए एक अनोखा समाधान ढूंढा है। उन्होंने उड़ने वाले पक्षियों को कमांडो के रूप में तैयार किया है, जो हवा में दुश्मन ड्रोन को रोकने और पकड़ने में सक्षम हैं। इन पक्षियों को गरुड़ स्क्वाड कहा जा रहा है।
Garuda Squad: गरुड़ स्क्वाड क्या है?
गरुड़ स्क्वाड एक एंटी-ड्रोन बर्ड कमांडो यूनिट (Anti-Drone Bird Commando Unit) है। इसमें खास पक्षियों जैसे चील (Kite) और गरुड़ (Eagle) को ट्रेनिंग दी जा रही है। इन पक्षियों को नैनो और माइक्रो ड्रोन का पीछा करने और उन्हें जमीन पर गिराने के लिए तैयार किया गया है। ये पक्षी अपने पंजों में जाल लेकर उड़ते हैं और ड्रोन पर हमला कर उसे निष्क्रिय कर देते हैं।
इन बर्ड कमांडोज की ट्रेनिंग कैसे होती है?
तेलंगाना पुलिस ने 2021 में इन पक्षियों को ट्रेनिंग देना शुरू किया। इस ट्रेनिंग में पक्षियों को विशेष रूप से ड्रोन पहचानने और उन्हें रोकने की क्षमता विकसित कराई गई है।
- जाल का इस्तेमाल:
पक्षी अपने पंजों में जाल लेकर उड़ते हैं। जैसे ही ड्रोन नो-फ्लाई ज़ोन (No Fly Zone) में आता है, ये पक्षी अपने जाल से उसे पकड़ लेते हैं। - सीधा हमला:
पक्षियों को यह भी सिखाया जा रहा है कि वे अपने पंजों से ड्रोन पर हमला करें। ट्रेनिंग के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि पक्षी सुरक्षित रहें और ड्रोन के घूमते हुए पंख उन्हें नुकसान न पहुंचाएं।
क्यों है यह इनोवेशन जरूरी?
ड्रोन सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। छोटे और नैनो ड्रोन, जो साइज में छोटे होते हैं और कम वजन के होते हैं, आसानी से बचकर निकल जाते हैं।
- ड्रोन का खतरा:
कई बार वीआईपी मूवमेंट के दौरान, ड्रोन का उपयोग निगरानी या असामाजिक गतिविधियों के लिए किया जाता है। - लो-कॉस्ट समाधान:
ड्रोन रोकने के लिए हाई-टेक एंटी-ड्रोन तकनीक महंगी होती है। लेकिन पक्षियों के इस स्क्वाड से यह काम कम लागत में संभव हो रहा है।
Anti-Drone Bird Commando: सफलता की कहानियां
हाल ही में गरुड़ स्क्वाड को एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत तैनात किया गया। इन पक्षियों ने शानदार प्रदर्शन किया। वे 250 ग्राम से 2 किलोग्राम तक वजन वाले ड्रोन को रोकने में सफल रहे।
यह भी देखा गया कि इन पक्षियों ने ड्रोन को जाल में फंसाने में समय नहीं लगाया। इस प्रक्रिया में किसी भी पक्षी को चोट नहीं पहुंची, क्योंकि उनके ट्रेनर पूरी सावधानी बरतते हैं।
केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बढ़ते ड्रोन खतरों पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि ड्रोन से निपटने के लिए हमें एंटी-ड्रोन यूनिट (Anti-Drone Unit) तैयार करने की जरूरत है। तेलंगाना का यह प्रोजेक्ट उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
भविष्य की योजना
तेलंगाना पुलिस अपनी इस तकनीक को देश के अन्य राज्यों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करने के लिए तैयार है। इन बर्ड कमांडोज का उपयोग खासकर वीआईपी मूवमेंट, महत्वपूर्ण सरकारी स्थानों और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा।
तेलंगाना पुलिस का यह इनोवेशन दिखाता है कि कैसे पुराने तरीकों में थोड़ा सा बदलाव लाकर बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। गरुड़ स्क्वाड ने यह साबित कर दिया है कि तकनीक और प्रकृति के सही संयोजन से हम आधुनिक सुरक्षा खतरों का मुकाबला कर सकते हैं।
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