How Much Land Does Waqf Own? देश में वक्फ के नाम पर कितनी जमीन है, यह सवाल आजकल हर किसी के मन में कौंध रहा है। जब हम इसकी गहराई में जाते हैं, तो पता चलता है कि वक्फ बोर्ड के पास संपत्तियों का एक विशाल भंडार है, जिसका आंकड़ा सुनकर आप चौंक सकते हैं। देश में रक्षा मंत्रालय और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ के पास ही है। इसे समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा और देखना होगा कि यह सब शुरू कैसे हुआ और आज यह कहां तक पहुंच गया है।
वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संगठन है, जो इस्लामिक कानूनों के आधार पर काम करता है। इसका मकसद है दान में मिली संपत्तियों को धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए इस्तेमाल करना। लोग अपनी जमीन या संपत्ति वक्फ को दान करते हैं, और फिर इसका उपयोग मस्जिद, मदरसे या कब्रिस्तान जैसे कार्यों के लिए होता है। यह परंपरा भारत में मुगल काल से चली आ रही है। आज आंकड़ों की बात करें तो वक्फ के पास कुल 9.4 लाख एकड़ जमीन (9.4 lakh acres of land) है। इसमें से केवल कब्रिस्तान के नाम पर ही 1.5 लाख संपत्तियां (1.5 lakh properties for graveyards) दर्ज हैं। इसके अलावा मस्जिदों के नाम पर 1.19 लाख संपत्तियां और कुल मिलाकर 8 लाख 72 हजार 804 अचल संपत्तियां वक्फ के नाम पर हैं।
अब इसे थोड़ा और समझते हैं। देश में रक्षा मंत्रालय के पास 17 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है, वहीं रेलवे के पास करीब 12 लाख एकड़ जमीन है। इसके बाद तीसरा नंबर वक्फ का ही आता है। यह आंकड़ा अपने आप में बहुत कुछ कहता है। वक्फ की संपत्तियों में कब्रिस्तान, मस्जिद और मदरसों के लिए दान की गई जमीनें शामिल हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में जमीन का प्रबंधन कैसे हो रहा है और क्या इसका सही इस्तेमाल हो रहा है?
हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर काफी चर्चा हुई। यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पास हो चुका है। इसके तहत कई बड़े बदलाव किए गए हैं। पहले वक्फ कमिश्नर संपत्तियों के सर्वे का अधिकार रखता था, लेकिन अब यह जिम्मेदारी कलेक्टर को दी गई है। साथ ही, यह शर्त भी जोड़ी गई है कि वक्फ को संपत्ति दान करने वाला व्यक्ति कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला और उस संपत्ति का मालिक होना चाहिए। वक्फ ट्राइब्यूनल का फैसला अब अंतिम नहीं होगा, बल्कि कलेक्टर का निर्णय ही मान्य होगा। सरकार का कहना है कि वक्फ की संपत्तियों में पारदर्शिता लाने और दुरुपयोग रोकने के लिए यह कदम जरूरी था।
विपक्ष और कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया। उनका मानना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। उनका कहना है कि सरकार वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है। इस वजह से कई संगठन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि वक्फ बोर्ड कई बार मनमाने तरीके से संपत्तियों पर दावा करता है, जिसे रोकने के लिए यह बदलाव लाया गया। संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को भी शामिल करने का प्रावधान किया गया है, ताकि इसकी कार्यप्रणाली में और पारदर्शिता आए।
वक्फ की संपत्तियों का इतिहास भी कम रोचक नहीं है। मुगल काल में शुरू हुई यह व्यवस्था आज भी भारत सहित कई देशों में चल रही है। लोग अपनी जमीन दान करते थे, ताकि उसका इस्तेमाल धार्मिक कार्यों के लिए हो सके। आज भी यही परंपरा जारी है, लेकिन समय के साथ इसके प्रबंधन और इस्तेमाल को लेकर सवाल उठने लगे हैं। वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव इसी दिशा में एक कदम है। इसके तहत वक्फ के फैसलों को अदालत में चुनौती देने का अधिकार भी मिलेगा, जो पहले नहीं था।
जब हम इन आंकड़ों और बदलावों को देखते हैं, तो यह साफ होता है कि वक्फ बोर्ड के पास न सिर्फ जमीन की विशाल मात्रा है, बल्कि इसके प्रबंधन और इस्तेमाल को लेकर बहस भी तेज हो गई है। 9.4 लाख एकड़ जमीन (9.4 lakh acres of land) और 1.5 लाख संपत्तियां केवल कब्रिस्तान के नाम पर (1.5 lakh properties for graveyards) अपने आप में एक बड़ा सच बयां करती हैं। यह जमीन देश के कोने-कोने में फैली है और इसके पीछे एक लंबी परंपरा और इतिहास जुड़ा है।
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