अरे, अब तो चांद पर भी बसने का सपना सच हो सकता है! वैज्ञानिकों ने ढूंढ लिया है ढेर सारा पानी… वो भी चांद की सतह के ठीक नीचे दबा हुआ। मतलब जमीन खोदो और पानी निकालो वाला मामला! ये खोज भारत के इसरो और दूसरे देशों के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है।
पहले चांद को बिल्कुल सूखा-बंजर समझा जाता था, लेकिन अब वहां बर्फ के निशान मिले हैं। खास बात ये है कि पहले से जितना सोचा था, उससे कहीं ज्यादा पानी है चांद पर। ये पानी खासतौर पर चांद के उन हिस्सों में है जहां हमेशा अंधेरा रहता है, यानी चांद के उत्तर और दक्षिण वाले कोने।
चांद के पानी का मतलब क्या?
अगर चांद पर इतना पानी है, तो इसका सीधा-सीधा मतलब है… हम वहां रह सकते हैं! वहां पीने का पानी होगा ही, साथ में रॉकेट के लिए ईंधन भी वहीं से बनाया जा सकता है, ताकि आगे लंबी अंतरिक्ष यात्राओं पर निकला जा सके।
कैसे पता चला ये पानी?
इसरो के वैज्ञानिकों ने आईआईटी कानपुर, अमेरिकी यूनिवर्सिटीज और नासा के साथ मिलकर ये रिसर्च की। नासा के एक यान ने चांद को अच्छी तरह स्कैन किया और पानी के सबूत ढूंढ निकाले।
अभी बहुत रिसर्च बाकी है, पर इससे उम्मीद तो बंधी है। अभी तक चांद पर जाना-आना बहुत खर्चीला है, लेकिन अगर वहीं पानी-ईंधन मिलने लगे तो चांद हमारा बेस कैंप बन सकता है – मंगल वगैरह जाने का ठिकाना!
बताया जा रहा है कि चांद के उत्तरी हिस्से में दक्षिणी हिस्से से दोगुना पानी मौजूद है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बर्फ शायद पुराने ज्वालामुखी विस्फोट के समय से जमी हुई है।