Importance of Notifiable Disease: भारत जैसे विशाल देश में सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से कई जहरीली होती हैं। हर साल लाखों लोग सांप के काटने के मामले (Snake bite cases) का सामना करते हैं, लेकिन अब सरकार ने इस पर विशेष कदम उठाया है। सांप के काटने को अब “नोटिफिएबल डिजीज” यानी अधिसूचित रोग घोषित किया गया है।
इस कदम का उद्देश्य सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकना और इसके इलाज के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि यह फैसला क्यों लिया गया और इसका क्या महत्व है।
भारत में सांप के काटने की गंभीरता
भारत में सांपों की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 66 अत्यधिक जहरीली हैं। इनमें इंडियन कोबरा, कॉमन करैत, रसेल वाइपर, और सॉ-स्केल्ड वाइपर जैसे सांप शामिल हैं, जिन्हें “बिग फोर” कहा जाता है। ये सांप लगभग 80% मामलों में जिम्मेदार होते हैं।
2020 की Indian Million Death Study के अनुसार, हर साल सांप के काटने से 58,000 से अधिक मौतें होती हैं। इसके अलावा, हर साल 30 से 40 लाख लोग सांप के काटने के शिकार होते हैं। यह आंकड़े इस बात को स्पष्ट करते हैं कि सर्पदंश एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है।
Importance of Notifiable Disease: नोटिफिएबल डिजीज क्या होती है?
नोटिफिएबल डिजीज ऐसी बीमारियों को कहते हैं, जिनकी रिपोर्टिंग अनिवार्य होती है। इसका उद्देश्य इन बीमारियों पर नजर रखना, उनका इलाज करना, और महामारी जैसी स्थिति को रोकना है।
जैसे, टीबी, मलेरिया, डेंगू, और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों को हर राज्य में नोटिफिएबल डिजीज की सूची में शामिल किया गया है। अब, सांप का काटना भी इस सूची में जोड़ा गया है।
सांप के काटने को ‘नोटिफिएबल डिजीज’ क्यों घोषित किया गया?
सांप का जहर कई तरह के घातक प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि लकवा, सांस लेने में रुकावट, हेमरेज, और ऊतकों को नुकसान। ऐसे में तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
सरकार ने इसे नोटिफिएबल डिजीज घोषित करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसका उद्देश्य सर्पदंश के मामलों की निगरानी करना और यह सुनिश्चित करना है कि हर इलाके में पर्याप्त मात्रा में एंटी-वेनम उपलब्ध हो।
नेशनल एक्शन प्लान और डेटा मॉनिटरिंग
नेशनल एक्शन प्लान फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ स्नेकबाइट (NAPSE) के अनुसार, सांप के काटने के मामले खासतौर पर बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और गुजरात जैसे राज्यों में ज्यादा देखने को मिलते हैं।
इन राज्यों में, कृषि क्षेत्रों और घनी आबादी वाले इलाकों में सांपों के संपर्क में आने का खतरा ज्यादा रहता है। नोटिफिकेशन सिस्टम के जरिए इन क्षेत्रों में सटीक डेटा इकट्ठा किया जा सकेगा। इससे न केवल बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी, बल्कि मृत्यु दर को भी कम किया जा सकेगा।
एंटी-वेनम की उपलब्धता और जागरूकता
नए नियम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन क्षेत्रों में एंटी-वेनम का पर्याप्त स्टॉक हो, जहां सांप के काटने के मामले अधिक होते हैं। इसके साथ ही, ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना है, ताकि लोग समय पर इलाज करवा सकें।
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