भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है। लाखों लोग हर दिन इससे सफर करते हैं। हालांकि, ट्रेन देरी की घटनाएं हमारे देश में आम बात हैं। कभी मौसम की वजह से, तो कभी तकनीकी खराबी के चलते ट्रेनें देरी से चलती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय इतिहास में एक ऐसी ट्रेन भी रही है जिसे अपनी यात्रा पूरी करने में 42 घंटे की बजाय 3 साल, 8 महीने और 7 दिन लग गए? इस ट्रेन को आज भी सबसे लेट ट्रेन (India’s Most Delayed Train) के नाम से जाना जाता है।
कैसे हुई इस ट्रेन की शुरुआत?
यह घटना 2014 की है, जब आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती तक एक मालगाड़ी रवाना हुई। ट्रेन में 1316 बोरी डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) लदी हुई थी, जिसे बस्ती के एक व्यापारी रामचंद्र गुप्ता ने ऑर्डर किया था। 10 नवंबर 2014 को मालगाड़ी ने विशाखापत्तनम से अपनी यात्रा शुरू की। इस सफर को पूरा होने में केवल 42 घंटे का समय लगना था।
ट्रेन क्यों हुई इतनी लेट?
हालांकि, ट्रेन समय पर बस्ती नहीं पहुंची। व्यापारी रामचंद्र गुप्ता ने रेलवे अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन शुरू में कोई ठोस जवाब नहीं मिला। कई बार पूछताछ और शिकायतों के बाद अधिकारियों को पता चला कि ट्रेन रास्ते में ही कहीं रुक गई थी। जांच के दौरान मालूम हुआ कि ट्रेन को एक रेलवे यार्ड में लंबे समय तक खड़ा रखा गया था, क्योंकि उसकी एक बोगी तकनीकी रूप से ठीक नहीं मानी गई थी।
3 साल, 8 महीने और 7 दिन का सफर
इस घटना ने भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड बना दिया। ट्रेन जिसे केवल दो दिनों में अपनी यात्रा पूरी करनी थी, उसे 3 साल, 8 महीने और 7 दिन लग गए। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह ट्रेन बार-बार अलग-अलग यार्ड में रोकी गई, और इसकी देखरेख में लापरवाही बरती गई।
भारत की ट्रेन देरी कहानी
भारत की ट्रेन देरी कहानी (India’s Train Delay Story) में यह घटना सबसे चौंकाने वाली है। इसने भारतीय रेलवे की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। हालांकि, अंततः ट्रेन ने अपनी यात्रा पूरी की और व्यापारी को उनकी DAP बोरियां मिल गईं। लेकिन तब तक यह घटना सोशल मीडिया और अखबारों में सुर्खियां बन चुकी थी।
इस घटना ने क्या सिखाया?
इस वाकये ने दिखाया कि रेलवे सिस्टम में सुधार की कितनी जरूरत है। हालांकि, यह घटना अब मजाक और चुटकुलों का हिस्सा बन चुकी है, लेकिन इसने रेलवे की देरी और लापरवाही की गंभीरता को भी उजागर किया।
यह कहानी भारतीय रेलवे के लिए एक सीख है, जो हर यात्री को समय पर और सुरक्षित सफर का भरोसा देने का वादा करती है।