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India’s Permanent Seat in UNSC: अमेरिका, फ्रांस के बाद अब ब्रिटेन का साथ, UNSC में भारत की स्थायी सीट लगभग तय!

India's Permanent Seat in UNSC

India’s Permanent Seat in UNSC: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता की दौड़ में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार कर लिया है। अमेरिका और फ्रांस के बाद अब ब्रिटेन ने भी भारत के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की है। यह समर्थन भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, क्योंकि वह दशकों से इस प्रतिष्ठित पद की मांग कर रहा है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने UNSC में सुधारों का आह्वान करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद को अधिक प्रतिनिधित्व और काम करने की क्षमता की आवश्यकता है।

भारत की UNSC में स्थायी सदस्यता पर बड़ा समर्थन

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर दुनिया के प्रमुख देशों का समर्थन लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका और फ्रांस के बाद अब ब्रिटेन ने भी India’s Permanent Seat in UNSC के लिए भारत का समर्थन किया है। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने अपने भाषण में कहा कि UNSC को अधिक प्रतिनिधि और निष्पक्ष निकाय बनाने के लिए इसमें सुधार किए जाने चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अब वह समय आ गया है जब भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान जैसे देशों को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।

भारत को UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए यह समर्थन वैश्विक राजनीति में उसके बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है। भारत पिछले कई दशकों से यह मांग करता रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार हो और वह इसमें स्थायी सदस्य के रूप में शामिल हो।

UNSC में सुधार की जरूरत क्यों?

UNSC वर्तमान में 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य देशों से मिलकर बना है, जिनमें से स्थायी सदस्य देश रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं। इन देशों के पास वीटो पावर है, जिसके जरिए वे किसी भी प्रस्ताव को ठुकरा सकते हैं। यह पावर संतुलन कई बार समस्याओं को हल करने में बाधा उत्पन्न करती है, क्योंकि यह कुछ देशों को अत्यधिक शक्ति प्रदान करती है।

दूसरी ओर, अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल सिर्फ दो साल का होता है और इन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्य चुनते हैं। हाल के वर्षों में यह स्पष्ट हुआ है कि UNSC का वर्तमान स्वरूप 21वीं सदी की जियो-पॉलिटिकल वास्तविकताओं को दर्शाने में असमर्थ है। भारत जैसे उभरते देशों को इसमें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है, जबकि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।

वैश्विक नेताओं का समर्थन

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान स्पष्ट किया कि वह UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता (India’s Permanent Seat in UNSC) का समर्थन करते हैं। बाइडेन ने कहा कि अमेरिका वैश्विक संस्थानों में सुधार का समर्थन करता है, ताकि भारत जैसे देशों की अहम आवाज को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।

इसके अलावा, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में भारत को UNSC का स्थायी सदस्य बनाने की पुरजोर वकालत की। उन्होंने कहा कि जब तक सुरक्षा परिषद में सुधार नहीं होता, तब तक वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना कठिन होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि UNSC को अधिक प्रतिनिधित्व देने के लिए भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान को इसमें शामिल करना चाहिए, साथ ही अफ्रीकी देशों के लिए भी स्थायी सीट की मांग की।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी इस समर्थन को आगे बढ़ाते हुए कहा कि UNSC को एक ‘ज्यादा रिप्रेजेंटेटिव बॉडी’ बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वह UNSC में अफ्रीकी प्रतिनिधित्व के साथ-साथ भारत, जापान और ब्राजील को भी स्थायी सदस्य के रूप में देखना चाहते हैं। इससे न सिर्फ वैश्विक राजनीति में संतुलन आएगा, बल्कि यह निकाय अधिक सक्षम और न्यायपूर्ण भी बनेगा।

भारत का दावा

भारत दशकों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है और इसका तर्क है कि वर्तमान 15 देशों की यह परिषद 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है। भारत का मानना है कि वैश्विक निर्णय लेने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है और इसीलिए उसे स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर अमेरिकी समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि यह समर्थन भारत की वैश्विक मान्यता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है। UNSC में सुधार न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है, ताकि यह निकाय अधिक प्रतिनिधित्वशील और निष्पक्ष बन सके।

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