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कनिष्क विमान ब्लास्ट: कनाडा और भारत के रिश्तों में दशकों पुरानी खटास की कहानी

कनिष्क विमान ब्लास्ट: कनाडा और भारत के रिश्तों में दशकों पुरानी खटास की कहानी

कनिष्क विमान ब्लास्ट: कनाडा और भारत के बीच के रिश्तों में खटास नई नहीं है। यह दशकों पुरानी है, लेकिन भारत ने हमेशा अच्छे संबंध बनाने की कोशिश की है। इस रिश्ते में सबसे बड़ा मोड़ 1985 में आया, जब कनिष्क विमान ब्लास्ट हुआ।

कनिष्क विमान ब्लास्ट

23 जून 1985 को एयर इंडिया का कनिष्क विमान 182 माट्रियाला से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरा था। उड़ान के 45 मिनट बाद ही आयरलैंड के ऊपर 31,000 फीट की ऊंचाई पर एक बम ब्लास्ट हुआ। इस हादसे में 329 लोग मारे गए, जिनमें 86 बच्चे भी शामिल थे। इनमें से 22 लोग भारतीय नागरिक थे और 280 लोग भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे।

विमान का मलबा और लाशें

विमान का मलबा अटलांटिक महासागर में मिला। 329 में से 131 लोगों के शव मिल गए, लेकिन बाकी के नहीं मिले। लाशें और विमान का मलबा समुद्र में तैरता देखा गया। इस हादसे में 22 क्रू मेंबर्स भी मारे गए थे।

खालिस्तानी आतंकियों का हाथ

जांच में पता चला कि इस ब्लास्ट के पीछे खालिस्तानी चरमपंथियों का हाथ था। यह ब्लास्ट ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए किया गया था। बब्बर खालसा इंटरनेशनल का आतंकी इंदरजीत सिंह रेयात ने बम प्लांट किया था। इस धमाके में उसने टोक्यो के नरिता हवाई अड्डे पर एयर इंडिया की एक और फ्लाइट को भी निशाना बनाया, जिसमें दो लोग मारे गए थे।

ऑपरेशन ब्लू स्टार

1984 में इंदिरा गांधी सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था, ताकि खालिस्तानी ताकतों को कमजोर किया जा सके। स्वर्ण मंदिर परिसर को खालिस्तानी समर्थकों से मुक्त कराने के लिए यह ऑपरेशन किया गया था। इस ऑपरेशन में 493 लोग मारे गए थे और 83 जवान शहीद हुए थे।

भारत की चेतावनी

इंदिरा गांधी ने कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो को आतंकवादी खतरे की चेतावनी दी थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। अब उनके बेटे जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकी निज्जर को हीरो बना रहे हैं और उसकी हत्या का आरोप भारत पर मढ़ रहे हैं।

ट्रूडो की राजनीति

जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ रहे हैं और उसे कनाडा की संसद में हीरो बना रहे हैं। ट्रूडो यह सब खालिस्तानियों को खुश करने के लिए कर रहे हैं, ताकि कनाडा में रह रहे सिखों को यह एहसास दिला सकें कि वह उनके साथ हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि सिख समुदाय खालिस्तानियों के साथ नहीं, बल्कि भारत के साथ है।

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