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Mamata Banerjee Faces Protest at Oxford: ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण, वापस जाओ के नारों से लंदन में गरमाया माहौल!

Mamata Banerjee Faces Protest at Oxford: ऑक्सफोर्ड में ममता बनर्जी का भाषण, वापस जाओ के नारों से लंदन में गरमाया माहौल!

Mamata Banerjee Faces Protest at Oxford: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाल ही में लंदन के दौरे पर थीं। इस यात्रा के दौरान उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के केलॉग कॉलेज में बोलने का मौका मिला। यह एक बड़ा मंच था, जहां वह अपनी सरकार की उपलब्धियों और विचारों को दुनिया के सामने रखने वाली थीं। लेकिन 27 मार्च 2025 को हुए इस कार्यक्रम में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सबका ध्यान खींच लिया। ममता बनर्जी के भाषण के बीच में ही हंगामा शुरू हो गया। कुछ छात्रों ने नारे लगाए, सवाल उठाए और माहौल को गरमा दिया। आइए, इस घटना को करीब से समझते हैं कि क्या हुआ और क्यों।

सब कुछ उस वक्त शुरू हुआ, जब ममता बनर्जी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) में अपना भाषण दे रही थीं। वहां मौजूद लोग उनकी बातें सुनने के लिए उत्साहित थे। ममता ने अपनी सरकार के कामकाज और सामाजिक एकता की बातें शुरू कीं। लेकिन जैसे ही उन्होंने निवेश और विकास की चर्चा छेड़ी, दर्शकों में से एक शख्स ने सवाल उठाया। यह सवाल बंगाल में आए लाखों करोड़ के निवेश प्रस्तावों को लेकर था। ममता ने जवाब देना शुरू ही किया था कि तभी एक और व्यक्ति ने बीच में टोक दिया। इसके बाद माहौल बदलने लगा। कुछ लोग खड़े हो गए और कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए बलात्कार व हत्या मामले पर सवाल करने लगे।

यह सवाल सुनते ही ममता बनर्जी थोड़ा रुक गईं। उन्होंने जवाब देने की कोशिश की और कहा कि यह मामला कोर्ट में है और केंद्र सरकार के पास है। लेकिन सवाल पूछने वाले रुके नहीं। उन्होंने ममता पर राजनीति करने का आरोप लगाया। ममता ने पलटकर कहा कि यह मंच राजनीति के लिए नहीं है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “यहां राजनीति न करें। आप झूठ बोल रहे हैं। इसे राजनीतिक मंच न बनाएं। अगर आपको राजनीति करनी है, तो बंगाल आइए, वहां अपनी पार्टी को मजबूत कीजिए। मैं वहां जवाब दूंगी।” इस बीच कुछ लोगों ने “ममता बनर्जी वापस जाओ” (Mamata Banerjee Go Back) के नारे लगाने शुरू कर दिए। यह सुनकर हॉल में शोर और बढ़ गया।

इस विरोध का नेतृत्व स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई-यूके) के सदस्यों ने किया। यह एक वामपंथी छात्र संगठन है, जो ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस सरकार का पुराना विरोधी रहा है। इन छात्रों ने ममता पर भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि बंगाल में उनकी सरकार ने कई गलत काम किए हैं, जिनका जवाब जनता को चाहिए। जैसे-जैसे नारे तेज़ हुए, ममता ने अपनी बात को और मजबूती से रखने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “मैं सभी के लिए हूं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई—सब मेरे लिए बराबर हैं। किसी एक धर्म का नाम न लें, सभी का नाम लें।”

इस हंगामे के बीच ममता बनर्जी ने एक पुरानी तस्वीर निकाली। यह तस्वीर 1990 के दशक की थी, जब वह विपक्ष में थीं। तस्वीर में उनके सिर पर पट्टियां बंधी थीं। इसे दिखाते हुए उन्होंने कहा, “पहले यह देखिए कि मेरे साथ क्या हुआ था। कैसे मेरी हत्या की कोशिश की गई थी।” यह कहते हुए उनकी आवाज़ में गुस्सा और दर्द साफ झलक रहा था। वह उस दौर को याद कर रही थीं, जब वह सड़कों पर संघर्ष कर रही थीं। इस तस्वीर के जरिए उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि वह खुद मुश्किल वक्त से गुज़री हैं और लोगों की भावनाओं को समझती हैं।

लेकिन विरोध करने वाले छात्रों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। वे अपनी बात पर अड़े रहे। कुछ ने बंगाल में हिंदुओं के साथ व्यवहार को लेकर सवाल उठाए। ममता ने फिर जवाब दिया कि वह किसी के खिलाफ भेदभाव नहीं करतीं। उन्होंने कहा, “आप मुझे बोलने का मौका दीजिए। आप मेरा अपमान नहीं कर रहे, आप अपने संस्थान का अपमान कर रहे हैं।” उनका इशारा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की गरिमा की ओर था। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग हर जगह उनका विरोध करते हैं, लेकिन वह हर धर्म और समुदाय का सम्मान करती हैं।

इस पूरे घटनाक्रम में एक खास बात यह थी कि दर्शकों में सौरव गांगुली भी मौजूद थे। भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान होने के नाते उनकी मौजूदगी ने इस कार्यक्रम को और खास बना दिया था। लेकिन हंगामे के आगे यह बात भी पीछे छूट गई। ममता ने छात्रों पर “अति वामपंथी और सांप्रदायिक” होने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि ये लोग जानबूझकर उनके खिलाफ माहौल बना रहे हैं। उन्होंने अपनी बात को दोहराया कि वह सभी के लिए काम करती हैं और किसी एक समुदाय को निशाना नहीं बनातीं।

यह घटना सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में रही। वहां मौजूद लोगों ने वीडियो शेयर किए, जिनमें ममता बनर्जी के जवाब और छात्रों के नारे साफ सुनाई दे रहे थे। इस हंगामे ने न सिर्फ ममता के भाषण को प्रभावित किया, बल्कि बंगाल की राजनीति को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर ला दिया। यह देखना दिलचस्प था कि कैसे एक शैक्षणिक मंच पर सियासी सवालों ने हंगामा खड़ा कर दिया। ममता ने अपनी बात रखने की पूरी कोशिश की, लेकिन विरोध के शोर में उनकी आवाज़ कई बार दब गई।

इस घटना से यह साफ हो गया कि ममता बनर्जी की छवि को लेकर लोगों के बीच कितना मतभेद है। जहां कुछ लोग उन्हें एक मज़बूत नेता मानते हैं, वहीं कुछ उनकी नीतियों और कामकाज से नाराज़ हैं। ऑक्सफोर्ड का यह मंच उनके लिए अपनी बात रखने का मौका था, लेकिन विरोध ने इसे एक अलग रंग दे दिया। इस पूरे वाकये ने बंगाल की सियासत को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया।


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