फाइनेंस

मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में छाई बहार, 16 साल में सबसे ज़्यादा तेज़ी!

मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में छाई बहार, 16 साल में सबसे ज़्यादा तेज़ी!

भारत में ‘मेक इन इंडिया’ को बड़े पंख लग गए हैं! मार्च महीने में मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर, यानि सामान बनाने वाले कारखानों ने 16 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इसका मतलब है देश में बनने वाले सामान की डिमांड खूब बढ़ रही है। कारखानों का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है!

आसान भाषा में कहा जाए, तो मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का बढ़ना देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छी बात है। इससे पता चलता है कि ना सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी ‘मेड इन इंडिया’ सामानों की मांग बढ़ रही है।  इसलिए कारखाने दिन-रात सामान बना रहे हैं!

हर महीने, एक रिपोर्ट आती है जिसे ‘मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई’ कहते हैं। ये रिपोर्ट बताती है कि कारखानों की सेहत कैसी है। इस रिपोर्ट में 50 अंक का बहुत महत्व है। 50 से ऊपर अंक का मतलब है काम की रफ्तार तेज़ है, और 50 के नीचे का मतलब है कि काम में थोड़ी धीमी चल रही है। मार्च में तो यह अंक 59.1 तक पहुंच गया, और ये पूरे 16 सालों में सबसे ज़्यादा है! सबसे अच्छी बात ये है कि लगातार 33 महीनों से कारखानों का काम बढ़ ही रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ये उछाल सिर्फ एक शुरुआत है। भारत में स्किल्ड वर्कर्स यानि हुनरमंद कारीगरों की भरमार है। साथ ही, सरकार भी कारोबार करने को आसान बनाने के लिए कई कदम उठा रही है। इससे विदेशी कंपनियां भी भारत में अपने कारखाने लगाने के लिए आगे आ रही हैं।

HSBC बैंक की अर्थशास्त्री, इनेस लैम, कहती हैं कि मार्च 2008 के बाद से भारत का मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर इतना मजबूत नहीं दिखा है। ज़्यादा काम मिलने के कारण कारखानों ने नए कर्मचारियों की भर्ती भी तेज़ कर दी है।

यह भी पढ़ें: भारत vs चीन: क्या बदल रही है निवेशकों की ‘खरीदें भारत, बेचें चीन’ की रणनीति?

You may also like