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Marathi Speaking Dispute: विधायक समेत 100 से ज्यादा मराठी भाषी कर्नाटक में गिरफ्तार, भड़के एकनाथ; बोले-जनता सिखाएगी सबक

Marathi Speaking Dispute: विधायक समेत 100 से ज्यादा मराठी भाषी कर्नाटक में गिरफ्तार, भड़के एकनाथ; बोले-जनता सिखाएगी सबक

कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच का सीमा विवाद फिर से सुर्खियों में आ गया है। इस बार मुद्दा मराठी भाषी विवाद (Marathi Speaking Dispute) से जुड़ा हुआ है, जिसमें कर्नाटक के बेलगावी जिले में मराठी भाषी लोगों को लेकर तनाव पैदा हो गया है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कर्नाटक सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह मामला केवल एक सम्मेलन पर रोक लगाने का नहीं है, बल्कि मराठी लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश है।

क्या है विवाद का कारण?

दरअसल, मराठी एकीकरण समिति ने बेलगावी में एक सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें कर्नाटक और महाराष्ट्र दोनों राज्यों के मराठी भाषी नेताओं और लोगों को भाग लेना था। हालांकि, कर्नाटक सरकार ने इस सम्मेलन पर रोक लगा दी और आयोजकों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद मामला और गर्मा गया, जब समिति के सदस्य, विधायक, और मेयर समेत 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया गया।

एकनाथ शिंदे ने जताई नाराजगी

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इस पूरे मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह देश हर व्यक्ति को कहीं भी रहने, जाने और अपनी बात रखने की स्वतंत्रता देता है। लेकिन कर्नाटक सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वह न केवल मराठी भाषी लोगों के खिलाफ है, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों का भी हनन है।” उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के लोग मिलकर सिद्धारमैया सरकार को इसका जवाब देंगे।

कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद का ऐतिहासिक पहलू

कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद (Karnataka-Maharashtra Border Dispute) का इतिहास 1956 के राज्य पुनर्गठन के समय से जुड़ा है। महाराष्ट्र का दावा है कि बेलगावी और उसके आसपास के मराठी बहुल इलाके महाराष्ट्र में होने चाहिए, जबकि कर्नाटक इन इलाकों को अपने राज्य का हिस्सा मानता है। इस विवाद ने हमेशा से दोनों राज्यों के बीच तनाव को बनाए रखा है।

मराठी एकीकरण समिति का रुख

मराठी एकीकरण समिति ने इस घटना को लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया। समिति ने अपने बयान में कहा कि वह कर्नाटक सरकार के “अन्यायपूर्ण” कदम के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखेगी। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर मजबूती से कदम उठाए।

आदित्य ठाकरे और अन्य नेताओं का बयान

शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने इस विवादित इलाके को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग की है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि मराठी भाषी लोगों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बेलगावी में लगाए गए कर्फ्यू और सीमाओं को बंद करने की निंदा की।

मराठी भाषी लोगों की सुरक्षा पर फोकस

शिवसेना नेता अंबादास दानवे ने कहा कि कर्नाटक के बेलगावी और निपाणी में रहने वाले मराठी लोगों को सुरक्षा दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि केंद्र और महाराष्ट्र की भाजपा सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और मराठी लोगों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।

यह मामला न केवल एक क्षेत्रीय विवाद को दर्शाता है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि एक लोकतांत्रिक देश में भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को कैसे संरक्षित किया जाना चाहिए। कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच इस लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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