Mumbai News: मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने मुंबई में 18 ब्रिटिशकालीन प्याऊ की मरम्मत शुरू करने का फैसला किया है. इन प्याऊ को हेरिटेज टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा.
बीएमसी ने बंद पड़े और जर्जर प्याऊ की सुरक्षा दीवार बनाने, जो दीवार खराब है उसकी मरम्मत करने, टूटे भाग को दोबारा बनाने, साफ-सफाई, लाइट की व्यवस्था, सुरक्षा की व्यवस्था और पानी की उचित व्यवस्था करने का निर्णय लिया है.
बीएमसी हेरिटेज डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई में कुछ प्याऊ वर्ष 1800 के हैं. इनमें से रानीबाग में चार प्याऊ के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इसका निर्माण वर्ष 1903 से 1933 के बीच हुआ था. (Mumbai News)
अधिकारी ने बताया कि अन्य 18 प्याऊ के पुनर्निर्माण का काम एक साथ करने की योजना है, इसका जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा. बीएमसी को मुंबई में करीब 22 ऐसे प्याऊ की जानकारी पुरातत्व के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था ने वर्ष 2018 में दी थी.
हेरिटेज विशेषज्ञों के अनुसार मुंबई में पिछले कुछ वर्षों में ऐसे करीब 100 प्याऊ परिदृश्य से गायब हो चुके हैं. इनमें से कुछ को मौखिक इतिहास की मदद से और पुरानी तस्वीरों को स्कैन करके पता लगाया गया है.
पिछले पांच वर्षों में बीएमसी ने मुंबई में मिंट रोड पर स्थित वासवानी प्याऊ, गोखले रोड पर आनंद विट्ठल कोली प्याऊ, मधु दास कोठारी प्याऊ मेट्रो जंक्शन के पास धोबी तालाब में और जीपीओ के सामने फोर्ट एरिया में कोठारी प्याऊ को पुनर्जीवित किया है.
बता दें कि मुंबई में कई ऐसे प्याऊ हैं, जो वर्षों पुराने हैं. इनमें धोबी तालाब में बना सर कोवासजी जहांगीर फाउंटेन (1865), मस्जिद बंदर में केसोजी नायक प्याऊ (1876), दो टांकी प्याऊ कमाठीपुरा (1901), नवाब अली अयाज प्याऊ और सर कोवासजी जहांगीर फाउंटेन दोनों मझगांव में (1865) और सेठ देवराम केशवजी कॉन्ट्रैक्टर प्याऊ महेश्वरी उद्यान माटुंगा (1943) में बने हैं. (Mumbai News)
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इसी तरह मोहम्मद अली रोड पर, चार नल फाउंटेन, जी मनोकजी पटेल प्याऊ मजगांव, सर कावसजी जहांगीर फाउंटेन, मजगांव, एमवी पारुलकर फाउंटेन हिंदू कॉलोनी, सर कोवसजी जहांगीर फाउंटेन परेल, शाह चंपसे रेंस फाउंटेन लोअर परेल, इंदिरा भाई सहस्रबुद्धे प्याऊ, दादर, दो रामजी सेटिबा प्याऊ कोहिनूर जंक्शन और शिवाजी पार्क और जाफरभाई लुढा चाटु प्याऊ बांद्रा वेस्ट में हैं.
बीएमसी की योजना
बीएमसी की योजना है कि इन प्याऊ को हेरिटेज टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाए. इन प्याऊ को आकर्षक बनाने के लिए इनके आसपास लाइटिंग और अन्य सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी.
बीएमसी का मानना है कि इन प्याऊ को पुनर्जीवित करने से मुंबई की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने में मदद मिलेगी. साथ ही, यह मुंबई के पर्यटन को भी बढ़ावा देगा. (Mumbai News)