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राज्यसभा में एनडीए का दबदबा: 12 नए सांसद जीते बिना चुनाव लड़े, जानें कौन-कौन बने ‘लकी’ विजेता

राज्यसभा में एनडीए का दबदबा: 12 नए सांसद जीते बिना चुनाव लड़े, जानें कौन-कौन बने 'लकी' विजेता

राज्यसभा में एनडीए का दबदबा: राज्यसभा में एनडीए गठबंधन ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में हुए उपचुनावों में 12 सांसद बिना चुनाव लड़े ही जीत गए हैं, जिनमें से ज्यादातर एनडीए के हैं। इससे राज्यसभा में एनडीए का बहुमत मजबूत हुआ है। आइए जानें इस बदलाव के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव।

क्या आपने कभी सोचा है कि बिना चुनाव लड़े कोई जीत सकता है? लगता है असंभव, है ना? लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। हाल ही में राज्यसभा यानी संसद के ऊपरी सदन में कुछ ऐसा ही हुआ है। आइए जानते हैं इस दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में।

राज्यसभा उपचुनाव: बिना लड़े जीत का खेल

राज्यसभा उपचुनाव में कुल 12 सीटों पर चुनाव होना था। लेकिन मजेदार बात यह हुई कि इन सभी सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए। यानी, उन्हें चुनाव लड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी। ये ‘लकी’ उम्मीदवार अलग-अलग राज्यों से हैं।

कौन-कौन बने ‘लकी’ विजेता?

  1. भाजपा के 9 सांसद:
    • असम से रामेश्वर तेली और मिशन रंजन दास
    • बिहार से मनन कुमार मिश्रा
    • हरियाणा से किरण चौधरी
    • मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन
    • महाराष्ट्र से धिर्य शील पाटिल
    • ओडिशा से ममता मोहंता
    • राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू
    • त्रिपुरा से राजीव भट्टाचार्जी
  2. एनडीए के सहयोगी:
    • महाराष्ट्र से अजित पवार गुट (एनसीपी) से नितिन पाटिल
    • बिहार से राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा
  3. विपक्ष से:
    • कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी (तेलंगाना से)

राज्यसभा में बदला शक्ति संतुलन

इस राज्यसभा उपचुनाव के बाद एनडीए यानी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस की स्थिति मजबूत हुई है। अब एनडीए के पास राज्यसभा में 112 सांसद हो गए हैं। इसमें भाजपा के 96 सांसद शामिल हैं। अगर मनोनीत और स्वतंत्र सदस्यों को भी जोड़ लें, तो एनडीए को कुल 119 सांसदों का समर्थन मिल रहा है।

दूसरी तरफ, विपक्ष के पास अब 85 सांसद हैं। राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, जिनमें से अभी 8 सीटें खाली हैं। इस हिसाब से, बहुमत का आंकड़ा 119 है, जो एनडीए के पास है।

यह क्यों है महत्वपूर्ण?

  1. कानून बनाने में आसानी: राज्यसभा में बहुमत होने से सरकार के लिए नए कानून पास करना आसान हो जाएगा।
  2. विपक्ष की चुनौती कम: विपक्ष अब सरकार के फैसलों को रोकने में उतना सक्षम नहीं होगा।
  3. संवैधानिक संशोधन की संभावना: बहुमत होने से संविधान में बदलाव करना भी आसान हो सकता है।
  4. नीतिगत फैसलों में तेजी: सरकार अपने नीतिगत फैसलों को तेजी से लागू कर सकेगी।

क्या है राज्यसभा उपचुनाव का महत्व?

राज्यसभा उपचुनाव तब होता है जब कोई सीट खाली होती है। यह सीट किसी सदस्य के इस्तीफा देने, निधन होने या कार्यकाल पूरा होने पर खाली हो सकती है। इस बार जो 12 सीटें खाली हुईं, उन पर नए सदस्य चुने गए हैं।

निर्विरोध चुनाव का मतलब

जब किसी सीट के लिए सिर्फ एक ही उम्मीदवार नामांकन भरता है, तो उसे निर्विरोध चुना गया माना जाता है। इस बार सभी 12 सीटों पर यही हुआ। इससे चुनाव खर्च बचता है और राजनीतिक दलों के बीच आपसी समझ का पता चलता है।

आगे क्या?

राज्यसभा में एनडीए के बहुमत से कई महत्वपूर्ण विधेयक पास हो सकते हैं। लेकिन यह भी देखना होगा कि विपक्ष किस तरह अपनी भूमिका निभाता है। लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है जितनी सत्ता पक्ष की।

राज्यसभा उपचुनाव के नतीजों ने भारतीय राजनीति के समीकरण को बदल दिया है। एनडीए को मिला बहुमत उसे कई महत्वपूर्ण फैसले लेने में मदद करेगा। लेकिन साथ ही यह भी देखना होगा कि सरकार इस शक्ति का उपयोग कैसे करती है। क्योंकि अंत में, लोकतंत्र की मजबूती इसी में है कि सत्ता और विपक्ष दोनों मिलकर देश के हित में काम करें।

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