पीएम मोदी का नया विजन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह नारा ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस के संकल्प को दर्शाता है। इस नारे के माध्यम से, पीएम मोदी ने यह संदेश दिया है कि वे न केवल स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं होंगे, बल्कि अपने प्रशासन में भी भ्रष्टाचार को सहन नहीं करेंगे।
टेक्नोलॉजी के इस युग में, जहां डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन ने अधिकारियों और नागरिकों के बीच के इंटरफेस को कम किया है, वहां भ्रष्टाचार के अवसरों में कमी आई है। डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) जैसी योजनाएं, जहां सरकारी लाभ सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा किए जाते हैं, ने बिचौलियों को हटाकर भ्रष्टाचार को कम करने में मदद की है।
इसके अलावा, भारत सरकार ने ई-गवर्नेंस की दिशा में कई कदम उठाए हैं, जैसे कि डिजिटल इंडिया अभियान, जो सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराने और नागरिकों को तकनीकी साधनों से जोड़ने का प्रयास करता है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी मजबूती मिली है।
फिर भी, भ्रष्टाचार एक जटिल समस्या है जिसका समाधान केवल तकनीकी उपायों से नहीं हो सकता। इसके लिए सामाजिक जागरूकता, कठोर कानूनी ढांचा, और नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई पहल की हैं, लेकिन इस दिशा में अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है।