जब चुनावी शोरगुल ने दिलो-दिमाग को घेर लिया, तब ध्यान की शांति ने दिया सुकून का संदेश। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 45 घंटे के ध्यान सत्र पर एक विशेष पत्र के जरिए अपने अनुभवों को साझा किया है। उनके शब्दों में, चुनावी कोलाहल जो शुरू में उनके दिल और दिमाग में गूंज रहा था, वो साधना में जाते ही शून्य में समा गया।
इस पत्र में प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे ध्यान ने उन्हें आंतरिक शांति प्रदान की और उनके मन को एकाग्रता की ओर ले गया। उन्होंने लिखा कि ध्यान की गहराइयों में उतरते ही विश्व की सभी चिंताएं और शोर दूर हो गए और वे एक ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां केवल शांति और स्थिरता का अनुभव होता है।
प्रधानमंत्री का ये पत्र न केवल उनके निजी अनुभवों को दर्शाता है, बल्कि ये भी बताता है कि कैसे ध्यान और साधना एक व्यक्ति को चुनौतियों और तनाव से ऊपर उठाकर आत्म-शांति की ओर ले जा सकती है। उनके इस पत्र से प्रेरणा लेकर हर व्यक्ति अपने जीवन में ध्यान की महत्ता को समझ सकता है और इसे अपना सकता है।
इस पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री ने ये भी संदेश दिया है कि चाहे जीवन में कितनी भी आपाधापी क्यों न हो, ध्यान के कुछ क्षण आपको अपने आप से जोड़ सकते हैं और आपको एक नई दिशा दे सकते हैं। उनका ये पत्र एक आध्यात्मिक यात्रा की तरह है, जो पाठकों को भी उनके साथ इस यात्रा पर ले जाता है।
अंत में, प्रधानमंत्री मोदी का ये पत्र एक उदाहरण है कि कैसे ध्यान और साधना के माध्यम से हम अपने जीवन की उथल-पुथल को पार कर सकते हैं और आत्म-संतुष्टि की ओर बढ़ सकते हैं। ये पत्र हमें ये भी बताता है कि आत्म-अनुशासन और समर्पण के साथ, हम अपने आंतरिक जगत को खोज सकते हैं और उसे समृद्ध बना सकते हैं।
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