युवाओं में होने वाली एक गंभीर समस्या सामने आ रही है, जिसे साइकोजेनिक इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (PED) कहा जाता है। सेक्सुअल परफॉर्मेंस का बढ़ता दबाव, चिंता और तनाव की वजह से 20 से 30 साल के लगभग 60% से ज्यादा युवा इस समस्या से ग्रस्त हो रहे हैं।
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और चिंता आम बात हो गई है। लेकिन कई बार यही तनाव सेहत पर भारी पड़ता है और यौन जीवन को भी प्रभावित करता है। PED एक ऐसी ही समस्या है, जो अक्सर मानसिक कारकों के कारण होती है, ना कि किसी शारीरिक बीमारी की वजह से।
डॉक्टरों के मुताबिक, PED के लिए मीडिया और समाज द्वारा बनाए गए सेक्सुअल परफॉर्मेंस के अवास्तविक मानक भी जिम्मेदार हैं। इस दबाव को झेलते हुए कई युवा चिंता और हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं, जिसका असर उनकी यौन क्षमता पर पड़ता है। इसके अलावा, इस समस्या के बारे में खुलकर बात ना करने की प्रवृत्ति भी युवाओं में तनाव बढ़ा देती है।
युवाओं में PED के मामले बढ़ना चिंताजनक है। यौन स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बातचीत को बढ़ावा देना और सही जानकारी देना बेहद जरूरी है। तनाव प्रबंधन के तरीकों और जरूरत पड़ने पर मनोवैज्ञानिक से सलाह लेने से भी PED को दूर करने में मदद मिल सकती है।
डॉक्टरों का यह भी कहना है कि सोशल मीडिया पर दिखाई जाने वाली चीजें भी युवाओं में यौन प्रदर्शन को लेकर दबाव पैदा करती हैं। सेक्सुअल हेल्थ से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए सही शिक्षा की भी आवश्यकता है।