पूर्वोत्तर के दो छोटे राज्यों सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से आज चुनावी परिणाम आए हैं और ये नतीजे यहां की राजनीति को नई दिशा देने वाले साबित हो सकते हैं। दोनों राज्यों में ही रुझान बदलाव की ओर इशारा कर रहे हैं।
सिक्किम में SKM की बाढ़
सिक्किम में पी.एस. गोले के नेतृत्व वाली सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) की बाढ़ आई है। रुझानों के अनुसार, SKM पूरी तरह से अपने मुख्य विरोधी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) पर भारी पड़ी है और 24 सीटों पर आगे चल रही है। पवन चामलिंग की अगुवाई वाली SDF केवल 1 सीट पर ही आगे दिख रही है।
इन नतीजों से साफ है कि सिक्किम में लोगों ने बड़े पैमाने पर बदलाव की मांग की है। पावर चामलिंग के लंबे शासनकाल से उनकी नाराजगी भी इन परिणामों में झलक रही है। SKM ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अन्य स्थानीय मुद्दों को अपनी चुनावी मुहिम का केंद्र बनाया था और आम जनता उनके नारे से प्रभावित हुई।
अरुणाचल में भाजपा आगे
दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगे निकलती दिख रही है। रुझानों के अनुसार, भाजपा 13 सीटों पर आगे बढ़ी हुई है। वहीं, NCP, NPP और निर्दलीय उम्मीदवार कुल 5 सीटों पर आगे चल रहे हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अरुणाचल में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनने जा रही है।
पिछले विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को यहां जीत हासिल हुई थी, लेकिन उसके बाद बागी विधायकों के कारण उसकी सरकार लड़खड़ा गई थी। इस बार भाजपा को न सिर्फ स्थिर बहुमत प्राप्त होता दिख रहा है, बल्कि उसके नेता प्रदेश में लंबे समय तक शासन भी कर सकेंगे।
सत्ता परिवर्तन के संकेत
दोनों ही राज्यों के ये नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि जनता वहां परिवर्तन चाहती है। सिक्किम में तो बदलाव की लहर साफ दिख रही है। वहीं, अरुणाचल में भी भाजपा को नई ताकत मिलने वाली है।
हालांकि ये सभी अभी रुझान मात्र हैं। असली नतीजे आने में थोड़ा और समय लगेगा। लेकिन इतना तय है कि सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की नई सरकारों से इन राज्यों की राजनीति में काफी बदलाव आएगा। सिक्किम में SKM और अरुणाचल में भाजपा के लिए नई चुनौतियां और नई राजनीतिक रणनीतियां बनाना जरूरी होगा।
चुनावी रुझानों पर मंथन जारी है। आखिरी नतीजों का इंतजार करना ही बाकी है। लेकिन पूर्वोत्तर में राजनीति की नई राह निकलती दिख रही है।