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Tahawwur Rana in NIA Custody: तहव्वुर राणा की 18 दिन की हिरासत, 26/11 मुंबई हमले की साजिश का खुलासा शुरू

Tahawwur Rana in NIA Custody: तहव्वुर राणा की 18 दिन की हिरासत, 26/11 मुंबई हमले की साजिश का खुलासा शुरू

Tahawwur Rana in NIA Custody: 17 साल पहले मुंबई की सड़कों पर आतंक की वह रात आज भी हर भारतीय के दिल में दहशत और दर्द का निशान छोड़ गई। 26/11 के मुंबई हमले (26/11 Mumbai Attacks) ने 166 जिंदगियों को छीन लिया और सैकड़ों लोगों को घायल कर दिया। इस हमले की साजिश के एक अहम किरदार, तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana), को अब भारत लाया गया है। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने तहव्वुर राणा को 18 दिन की NIA हिरासत (18-day NIA custody) में भेजा है। यह खबर न केवल भारत की कानूनी जीत की कहानी है, बल्कि उस सच्चाई को उजागर करने की शुरुआत भी है, जो सालों तक छिपी रही।

तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, जिनका नाम पहली बार 2009 में सामने आया, जब अमेरिका में उनकी गिरफ्तारी हुई। लेकिन भारत के लिए उनकी असली भूमिका तब उजागर हुई, जब NIA ने 2011 में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। राणा पर आरोप है कि उन्होंने 26/11 के हमले की योजना में डेविड कोलमैन हेडली नाम के आतंकवादी की मदद की। हेडली ने मुंबई में कई बार रेकी की थी, ताकि हमले के लिए सही जगहों का पता लगाया जा सके। राणा ने अपनी कंपनी का इस्तेमाल हेडली को कवर देने के लिए किया, ताकि वह बिना किसी शक के भारत में घूम सके। इस साजिश में राणा का किरदार इतना गहरा था कि NIA का मानना है कि वह केवल एक सहायक नहीं, बल्कि हमले की योजना का एक मुख्य हिस्सा थे।

जब राणा को गुरुवार की शाम दिल्ली लाया गया, तो हवाई अड्डे पर सुरक्षा इतनी सख्त थी कि कोई पक्षी भी पर नहीं मार सकता था। विशेष विमान से लाए गए राणा को छह NIA अधिकारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के जवानों ने कड़ी निगरानी में लैंड करवाया। पालम एयर फोर्स बेस पर उतरते ही उनकी मेडिकल जाँच हुई, जो करीब तीन घंटे तक चली। इसके बाद उन्हें सीधे पटियाला हाउस कोर्ट ले जाया गया। रात 10:30 बजे बंद कमरे में सुनवाई हुई, जहाँ NIA ने कोर्ट को बताया कि राणा से पूछताछ जरूरी है, ताकि 26/11 की पूरी साजिश का पर्दाफाश हो सके। कोर्ट ने NIA को 18 दिन की हिरासत दी, और अब राणा NIA मुख्यालय में एक विशेष सेल में हैं, जहाँ सिर्फ 12 वरिष्ठ अधिकारी ही उनसे पूछताछ कर सकते हैं।

NIA के पास राणा के खिलाफ ठोस सबूत हैं। इनमें हेडली के साथ उनकी ईमेल बातचीत, फोन कॉल्स और यात्रा रिकॉर्ड शामिल हैं। ये दस्तावेज बताते हैं कि राणा ने न केवल हेडली को मुंबई में रेकी के लिए मदद दी, बल्कि वह लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से भी जुड़े थे। एक खास बात यह है कि नवंबर 2008 में, हमले से ठीक पहले, राणा खुद भारत आए थे। NIA का कहना है कि यह यात्रा कोई साधारण बिजनेस ट्रिप नहीं थी। राणा ने मुंबई सहित कई शहरों का दौरा किया, ताकि हमले की आखिरी तैयारियों को देखा जा सके। इन सबूतों से साफ है कि राणा की भूमिका सिर्फ सहायता तक सीमित नहीं थी; वह साजिश का एक बड़ा हिस्सा थे।

राणा की कहानी सिर्फ एक आतंकवादी की नहीं है। यह उस जटिल जाल की कहानी है, जिसमें कई देशों की एजेंसियाँ और आतंकी संगठन शामिल थे। हेडली ने अपनी रेकी के दौरान मुंबई के ताजमहल होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और यहूदी केंद्र जैसे बड़े स्थानों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। राणा ने अपनी कंपनी, फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज, को हेडली के लिए एक ढाल की तरह इस्तेमाल किया। यह कंपनी मुंबई में खोली गई थी, लेकिन कभी कोई असली काम नहीं हुआ। इसका मकसद सिर्फ हेडली को भारत में एक बिजनेसमैन के रूप में घूमने की आजादी देना था। NIA के मुताबिक, राणा को हेडली की हर योजना की जानकारी थी, और वह ISI के इशारों पर काम कर रहे थे।

राणा का भारत आना अपने आप में एक लंबी कानूनी लड़ाई का नतीजा है। 2009 में अमेरिका में गिरफ्तार होने के बाद, राणा ने कई बार कोर्ट में अपील की, ताकि भारत प्रत्यर्पण से बच सकें। लेकिन 2025 में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने उनकी आखिरी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद भारत ने तेजी से कदम उठाए। NIA और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की एक टीम राणा को लाने के लिए लॉस एंजिल्स गई। भारत ने अमेरिका को भरोसा दिलाया कि राणा को उचित कानूनी प्रक्रिया और मानवाधिकारों का ध्यान रखा जाएगा। इस भरोसे के बाद ही राणा को भारत लाया जा सका।

अदालत में NIA ने जो सबूत पेश किए, वे हैरान करने वाले हैं। हेडली ने राणा को कई ईमेल भेजे, जिनमें मुंबई के निशानों की पूरी जानकारी थी। इनमें होटल, रेलवे स्टेशन और अन्य जगहों के नक्शे और तस्वीरें शामिल थीं। राणा ने इन ईमेल्स का जवाब भी दिया, जिससे साफ होता है कि वह पूरी तरह साजिश में शामिल थे। इसके अलावा, राणा और हेडली के बीच 230 से ज्यादा फोन कॉल्स हुए, जिनमें ज्यादातर ISI के निर्देशों को हेडली तक पहुँचाने के लिए थे। इन कॉल्स में एक नाम बार-बार आता है—मेजर इकबाल। NIA का कहना है कि यह ISI का एक बड़ा अधिकारी था, जो इस हमले का मास्टरमाइंड था।

राणा की हिरासत अब NIA के लिए एक बड़ा मौका है। वे उन सवालों के जवाब ढूंढना चाहते हैं, जो सालों से अनसुलझे हैं। क्या राणा के पास ऐसी जानकारी है, जो लश्कर-ए-तैयबा और ISI के और बड़े चेहरों को बेनकाब कर सकती है? क्या वह उन लोगों के नाम बता सकते हैं, जो इस हमले के पीछे थे और अभी भी आजाद घूम रहे हैं? NIA की पूछताछ में राणा को तस्वीरें, वीडियो और आवाज के सैंपल दिखाए जाएँगे, ताकि उनकी भूमिका को और पक्का किया जा सके। यह प्रक्रिया आसान नहीं होगी, क्योंकि राणा पहले भी अपनी बेगुनाही का दावा करते रहे हैं। लेकिन NIA के पास सबूतों का ऐसा पहाड़ है, जिसे नजरअंदाज करना मुश्किल है।


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