Tahawwur Rana Revelation: मुंबई, वह शहर जो कभी नहीं सोता, 26/11 के आतंकी हमलों की त्रासदी को भूल नहीं पाया। उन हमलों ने न सिर्फ शहर को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरी दुनिया की नजरें भारत की ओर मोड़ दीं। इस जघन्य साजिश के एक अहम किरदार, तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Hussain Rana), आज फिर चर्चा में हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पूछताछ में उनके कई राज सामने आए हैं। यह कहानी है एक ऐसे शख्स की, जो पाकिस्तानी सेना की वर्दी छोड़ने के बाद भी उसे पहनता रहा और आतंकी संगठनों के साथ गहरे रिश्ते बनाए रखा। आइए, इस कहानी को करीब से जानते हैं।
सेना की वर्दी और छिपा सच
तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चिचावटनी गाँव में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल प्रिंसिपल थे, और परिवार में शिक्षा को काफी महत्व दिया जाता था। राणा ने कैडेट कॉलेज हसनाबदल में पढ़ाई की, जहाँ उनकी मुलाकात डेविड कोलमैन हेडली से हुई। हेडली, जो 26/11 हमलों का एक और साजिशकर्ता है, आज अमेरिकी जेल में सजा काट रहा है। राणा ने मेडिकल की पढ़ाई की और पाकिस्तानी सेना के मेडिकल कोर में सेवा दी। लेकिन सेना छोड़ने के बाद भी उनकी जिंदगी ने एक खतरनाक मोड़ लिया।रिपोर्ट्स बताती हैं कि राणा ने सेना छोड़ने के बाद भी सैन्य वर्दी (Military Uniform) पहनना नहीं छोड़ा। वह इस वर्दी में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) से जुड़े लोगों से मिलता था। यह वर्दी उनके लिए सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि एक ऐसा जरिया थी, जो उनकी साख और पहुंच को बढ़ाती थी। एनआईए की पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि राणा ने आतंकी शिविरों का दौरा किया और खतरनाक साजिशों का हिस्सा बना।
कनाडा में नई शुरुआत, पुराने इरादे
साल 1997 में तहव्वुर राणा अपनी पत्नी समरज राणा अख्तर के साथ कनाडा चले गए। उनकी पत्नी एक डॉक्टर थीं, और राणा ने वहाँ इमिग्रेशन कंसल्टेंसी का कारोबार शुरू किया। बाद में उन्होंने हलाल मांस का व्यापार भी शुरू किया। बाहर से देखने में यह एक सामान्य जिंदगी थी—एक पढ़ा-लिखा शख्स, जो विदेश में अपनी मेहनत से नई राह बना रहा था। लेकिन हकीकत कुछ और थी। उनकी इमिग्रेशन कंसल्टेंसी आतंकी गतिविधियों का मुखौटा बन गई।इस कारोबार में डेविड हेडली ने भी सलाहकार की भूमिका निभाई। दोनों ने मिलकर न सिर्फ 26/11 हमलों की योजना बनाई, बल्कि कई और खतरनाक साजिशों को अंजाम देने की कोशिश की। राणा की कंसल्टेंसी ने उन्हें दुनिया भर में घूमने और आतंकी नेटवर्क से जुड़ने का मौका दिया। यह सब इतनी चालाकी से किया गया कि लंबे समय तक किसी को शक नहीं हुआ।
आतंकी साजिशों का जाल
राणा का नाम सिर्फ हेडली तक सीमित नहीं था। वह ग्लोबल आतंकी साजिद मिर के भी संपर्क में था, जो भारत का मोस्ट वांटेड भगोड़ा है। मिर ने 26/11 हमलों के दौरान मुंबई के चबाड हाउस पर हमले की साजिश रची थी, जिसमें छह लोग मारे गए थे। अमेरिका ने मिर की गिरफ्तारी के लिए 50 लाख डॉलर का इनाम रखा है। एनआईए के सूत्रों के मुताबिक, राणा ने सैन्य वर्दी पहनकर मेजर इकबाल नाम के एक संदिग्ध आईएसआई अधिकारी से मुलाकात की थी। मेजर इकबाल पर हेडली को टोही मिशनों के लिए फंड देने और निर्देश देने का आरोप है।यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। राणा ने आतंकी संगठनों के साथ मिलकर कई ऐसी योजनाएँ बनाईं, जिनका मकसद भारत में अस्थिरता फैलाना था। 26/11 हमलों के लिए टोही मिशन से लेकर हमलावरों को लॉजिस्टिक सपोर्ट तक, राणा की भूमिका हर कदम पर अहम थी। उनकी सैन्य पृष्ठभूमि और मेडिकल डिग्री ने उन्हें एक ऐसा व्यक्तित्व दिया, जो आतंकी संगठनों के लिए बेहद कीमती था।
एनआईए की पूछताछ और नए खुलासे
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जब राणा से पूछताछ शुरू की, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। यह बात सामने आई कि राणा ने न सिर्फ आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया, बल्कि अपनी पहचान को छिपाने के लिए कई चेहरों का इस्तेमाल किया। उनकी सैन्य वर्दी ने उन्हें एक अलग ही विश्वसनीयता दी, जिसका फायदा आतंकी संगठनों ने जमकर उठाया।पूछताछ में यह भी पता चला कि राणा और हेडली के बीच गहरी दोस्ती थी, जो कैडेट कॉलेज के दिनों से शुरू हुई थी। दोनों ने मिलकर न सिर्फ भारत, बल्कि कई अन्य देशों में आतंकी योजनाएँ बनाईं। हेडली ने 2010 में अमेरिका में अपने अपराध स्वीकार कर लिए थे, जिसके बाद उसने मेजर इकबाल और राणा के साथ अपने संबंधों का खुलासा किया। लेकिन राणा ने अपनी चुप्पी बनाए रखी, जो अब धीरे-धीरे टूट रही है।
एक शख्स, कई चेहरे
तहव्वुर राणा की कहानी सिर्फ एक आतंकी साजिशकर्ता की नहीं है। यह उस शख्स की कहानी है, जिसने अपनी शिक्षा, सैन्य पृष्ठभूमि और विदेश में बनी पहचान का इस्तेमाल गलत मकसद के लिए किया। कनाडा में एक सम्मानित बिजनेसमैन से लेकर आतंकी संगठनों का मददगार बनने तक, राणा का यह सफर कई सवाल खड़े करता है।उनके परिवार का बैकग्राउंड भी इस कहानी को और जटिल बनाता है। उनके एक भाई पाकिस्तानी सेना में साइकोलॉजिस्ट हैं, तो दूसरा पत्रकार। लेकिन राणा ने जो रास्ता चुना, वह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गया।
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