महाराष्ट्र

Uddhav Thackeray’s political ambition: महाराष्ट्र के चुनावों में एकनाथ शिंदे का बड़ा हमला; क्या उद्धव ठाकरे अब नेता विपक्ष बनना चाहते हैं?

Uddhav Thackeray's political ambition: महाराष्ट्र के चुनावों में एकनाथ शिंदे का बड़ा हमला; क्या उद्धव ठाकरे अब नेता विपक्ष बनना चाहते हैं?

Uddhav Thackeray’s political ambition: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनकी नजर अब नेता विपक्ष के पद पर है। इस बयान ने महाराष्ट्र की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

शिवसेना (यूबीटी) की वर्तमान स्थिति और उद्धव ठाकरे का राजनीतिक संघर्ष

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियाँ तेज हो चुकी हैं, और इसी बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने बयान से एक नया राजनीतिक मुद्दा खड़ा कर दिया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे की अब नजर नेता विपक्ष (Leader of Opposition) के पद पर है। यह दावा तब आया है जब महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के अंदर उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन नहीं मिल पा रहा है।

शिवसेना (यूबीटी) की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में कमजोर हुई है, खासकर तब से जब एकनाथ शिंदे ने पार्टी से अलग होकर अपनी शिवसेना बनाई और भाजपा के साथ गठबंधन किया। शिंदे के अनुसार, उद्धव ठाकरे अब इस स्थिति में नहीं हैं कि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार बन सकें। नेता विपक्ष (Leader of Opposition) के पद की चाह को लेकर शिंदे ने ठाकरे पर कटाक्ष किया, जो इस वक्त महा विकास अघाड़ी के अन्य सहयोगियों के साथ मतभेदों का सामना कर रहे हैं।

एकनाथ शिंदे का आरोप: उद्धव की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का पतन

शिंदे का कहना है कि उद्धव ठाकरे की उद्धव ठाकरे की राजनीतिक महत्वाकांक्षा (Uddhav Thackeray’s political ambition) ने उन्हें पहले भी कमजोर किया है, और अब भी वह इसे नहीं छोड़ पा रहे हैं। शिंदे ने जालना जिले में आयोजित एक जनसभा में कहा, “उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते थे, लेकिन अब उन्हें उनके सहयोगी भी उस पद पर देखना नहीं चाहते। अब उनकी नज़र नेता विपक्ष (Leader of Opposition) के पद पर है, और मैं उन्हें इसके लिए शुभकामनाएं देता हूँ।”

उद्धव ठाकरे की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का यह आरोप न केवल उनके नेतृत्व पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि महा विकास अघाड़ी के भीतर भी शिवसेना (यूबीटी) की पकड़ कमजोर हो रही है। कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) के समर्थन के बिना उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदें धूमिल हो चुकी हैं।

आगामी विधानसभा चुनावों में महायुति और एमवीए की लड़ाई

महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में महायुति और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। महायुति, जिसमें भाजपा, एनसीपी (अजित पवार गुट), और शिंदे गुट की शिवसेना शामिल है, सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। वहीं, एमवीए गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) शामिल है, वापसी की तैयारी कर रहा है।

शिंदे ने चुनावी रणनीति के तहत मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए जल ग्रिड योजना लागू करने का भी वादा किया, जो कि आने वाले चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है। इस दौरान शिवसेना (यूबीटी) के नेता हिकमत उढाण शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए, जिससे शिंदे के पक्ष को और मजबूती मिली है।

उद्धव ठाकरे की राजनीतिक महत्वाकांक्षा (Uddhav Thackeray’s political ambition) के सवाल और शिंदे के कटाक्ष ने आगामी चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) की स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में शिवसेना (यूबीटी) और महा विकास अघाड़ी किस प्रकार से इन आरोपों का सामना करेंगे और उद्धव ठाकरे की अगुवाई में चुनावी रणनीति कैसी होगी।

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