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UN Peace Mission: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला… क्या शांति सेना भेज सकता है UN? जानें ये कैसे करती है काम

UN Peace Mission: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला... क्या शांति सेना भेज सकता है UN? जानें ये कैसे करती है काम

बांग्लादेश में हाल ही में हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमलों ने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। इस्कॉन से जुड़े एक व्यक्ति की गिरफ्तारी और कट्टरपंथी समूहों द्वारा हिंसा की घटनाओं के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (UN Peace Mission) की मांग की है। लेकिन क्या वास्तव में यह संभव है? आइए जानते हैं UN शांति मिशन (United Nations Peace Mission) की कार्यप्रणाली, नियम, और इतिहास।

 

क्या है UN शांति मिशन?

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का मुख्य उद्देश्य युद्ध और संघर्ष से प्रभावित देशों में शांति स्थापित करना है। यह मिशन उन क्षेत्रों में तैनात होता है, जहां अन्य संस्थाओं या देशों के लिए शांति बहाल करना संभव नहीं होता।

UN शांति मिशन (UN Peace Mission) में सैनिक, पुलिस और आम नागरिक शामिल होते हैं। ये संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा दिए गए योगदान के माध्यम से तैनात किए जाते हैं। मिशन का मुख्य काम संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक शांति और सुरक्षित माहौल बनाना है।


शांति मिशन का इतिहास और पहला कदम

संयुक्त राष्ट्र का पहला शांति मिशन 1948 में स्थापित किया गया था, जिसे UNTSO (United Nations Truce Supervision Organization) कहा गया। इसका उद्देश्य इजरायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच युद्धविराम की निगरानी करना था।

तब से, शांति मिशन ने दुनियाभर के कई संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। खासकर अफ्रीका और मध्य पूर्व में इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है।


UN शांति मिशन का निर्णय कौन लेता है?

किसी देश में शांति सैनिक भेजने का निर्णय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) लेती है। यह निर्णय संबंधित देश की सहमति के बिना नहीं लिया जा सकता।

संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक, शांति सैनिक तभी भेजे जाते हैं:

  1. जब संबंधित देश खुद इसकी मांग करे।
  2. जब वहां की सरकार राजनीतिक और प्रशासनिक रूप से विफल हो जाए।
  3. जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता लगे।

भारत का शांति मिशन में योगदान

भारत ने हमेशा से शांति सैनिक कैसे काम करते हैं (How Peacekeepers Work) का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में 2,75,000 से अधिक सैनिकों का योगदान दिया है। वर्तमान में, भारतीय सैनिक अफ्रीका और मध्य पूर्व के कई देशों में तैनात हैं।

भारत के लगभग 6,000 सैनिक और पुलिसकर्मी अबेई, कांगो, लेबनान, सोमालिया, दक्षिण सूडान और पश्चिमी सहारा जैसे क्षेत्रों में तैनात हैं। यह संख्या भारत को सबसे बड़ा सैन्य योगदानकर्ता बनाती है।


बांग्लादेश में UN शांति मिशन की मांग

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए UN शांति मिशन की मांग की है। हालांकि, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह तभी संभव है जब बांग्लादेश की सरकार खुद इसके लिए अनुरोध करे।

शशि थरूर, जो खुद संयुक्त राष्ट्र में काम कर चुके हैं, ने बताया कि शांति सैनिकों की तैनाती एक जटिल प्रक्रिया है। यह केवल उन स्थितियों में होती है, जब कोई देश पूरी तरह से अस्थिर हो जाए।


शांति मिशन के सामने चुनौतियां

शांति सैनिकों के लिए कई चुनौतियां होती हैं:

  1. राजनीतिक अस्थिरता: जिन देशों में शांति मिशन तैनात होता है, वहां राजनीतिक स्थिति बेहद अस्थिर होती है।
  2. संसाधनों की कमी: मिशन के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाना मुश्किल होता है।
  3. सांस्कृतिक बाधाएं: विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के कारण संचार में समस्याएं आती हैं।
  4. सुरक्षा जोखिम: सैनिकों को हिंसा, अपहरण और हमलों का सामना करना पड़ता है।

शांति सैनिक कैसे काम करते हैं (How Peacekeepers Work)

शांति सैनिकों का काम केवल हथियार उठाना नहीं है। उनका मुख्य उद्देश्य:

  • राजनीतिक स्थिरता लाना।
  • युद्ध के बाद पुनर्निर्माण करना।
  • सशस्त्र समूहों को निरस्त्रीकरण में मदद करना।

यह काम आसान नहीं होता, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।


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