Unicorn: भारतीय स्टार्टअप्स की दुनिया में कुछ उथल-पुथल मची हुई है। पिछले कुछ सालों में जिस तेज़ी से ‘यूनिकॉर्न’ कंपनियों की संख्या बढ़ी थी, अब उसमें गिरावट दर्ज की गई है। हुरुन ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024 की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में यूनिकॉर्न कंपनियां घटकर 67 रह गई हैं। ये आंकड़ा साल 2017 के बाद सबसे कम है!
आइए, पहले समझते हैं कि यूनिकॉर्न होता क्या है?
किसी भी ऐसे स्टार्टअप को ‘यूनिकॉर्न’ कहा जाता है जिसका मूल्यांकन 1 अरब डॉलर या उससे अधिक हो। इस चमकदार क्लब में शामिल होना किसी भी स्टार्टअप की बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। पिछले कुछ सालों में शिक्षा, फिन-टेक और फ़ैंटेसी खेल जैसे क्षेत्रों में भारत के यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स ने खूब तरक्की की थी।
लेकिन, अब स्थिति बदल रही है। हुरुन की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में भारत का एक बड़ा यूनिकॉर्न, एडुटेक कंपनी बायजूस, इस सूची से बाहर हो गया है। बायजूस का मूल्यांकन जहां एक समय 22 अरब डॉलर से अधिक था, वहीं अब गिरकर 1 बिलियन डॉलर से भी कम हो गया है। पूरी दुनिया में किसी भी स्टार्टअप के मूल्य में इतनी बड़ी गिरावट पहले नहीं देखी गई। इसके अलावा, रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में इस साल 42 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब से बाहर हो गए हैं।
भारत के लिए सकरात्मक खबर
हालांकि, भारत के लिए एक सकारात्मक खबर भी है। अमेरिका (703 यूनिकॉर्न) और चीन (240 यूनिकॉर्न) के बाद, भारत अब भी यूनिकॉर्न शुरू करने वाले देशों में तीसरे स्थान पर है। यूनिकॉर्न कंपनियों की सूची में भारतीय फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी और फैंटेसी स्पोर्ट्स कंपनी ड्रीम 11 सबसे ऊपर हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में यूनिकॉर्न की संख्या में गिरावट के कई कारण हैं। इनमें से सबसे प्रमुख हैं – निवेश में कमी और स्टार्टअप्स के लिए उचित वातावरण का अभाव। साथ ही, कई भारतीय उद्यमी अब अपने स्टार्टअप्स विदेशों में शुरू कर रहे हैं। हुरुन रिपोर्ट बताती है कि भारतीयों ने भारत के बाहर 109 यूनिकॉर्न खड़े किए हैं!
विश्व स्तर पर सबसे अधिक मूल्यांकन वाली यूनिकॉर्न अभी भी टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस है। अमेरिकी दिग्गज एलन मस्क की स्पेसएक्स और माइक्रोसॉफ्ट समर्थित ओपनएआई भी इस सूची में शीर्ष पर हैं।
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