यूसुफ पठान को सरकारी जमीन कब्जाने का नोटिस: आजकल के नेताओं का क्या कहना! पहले मैदान पर रन बनाते थे, अब जमीन हड़पने के आरोप लग रहे हैं। हम बात कर रहे हैं यूसुफ पठान की, जिन्हें वडोदरा नगर निगम ने हाल ही में एक नोटिस थमा दिया है। चलो देखते हैं कि आखिर माजरा क्या है।
यूसुफ पठान, जिन्हें हम सब क्रिकेट के मैदान पर छक्के-चौके लगाते देखते थे, अब राजनीति के पिच पर उतर आए हैं। तृणमूल कांग्रेस की टोपी पहनकर वो बहरामपुर से सांसद बन गए। लेकिन लगता है, इस नई पारी में उनका बल्ला नहीं चल रहा। क्यों? क्योंकि अब उन पर आरोप लगा है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा जमा लिया है।
कहानी कुछ ऐसी है कि 2012 में यूसुफ भाई ने वडोदरा नगर निगम से कहा, “भाई साहब, मेरे घर के बगल में एक खाली जमीन पड़ी है। मुझे दे दो, मैं पैसे दे दूंगा।” नगर निगम ने कहा, “हां भाई, ले लो।” लेकिन तभी राज्य सरकार ने बीच में टांग अड़ा दी और कहा, “नहीं-नहीं, ऐसे कैसे दे देंगे?”
अब यहां से शुरू होती है असली कहानी। नगर निगम ने उस जमीन के चारों तरफ दीवार नहीं बनाई। और यूसुफ भाई ने सोचा होगा, “अरे, खाली पड़ी है तो क्या फर्क पड़ता है?” बस, उन्होंने वहां दीवार खड़ी कर दी। अब भाजपा के एक पार्षद विजय पवार जी को ये बात खटकी। उन्होंने कहा, “अरे भाई, ये क्या हो रहा है? सरकारी जमीन है, कोई प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं।”
नगर निगम ने भी सोचा, “हां यार, ये तो गलत हो गया।” बस फिर क्या था, 6 जून को यूसुफ भाई के घर एक चिट्ठी पहुंची – “भाई साहब, ये जो आपने दीवार बना रखी है, जरा हटा दीजिए। ये हमारी जमीन है।” नगर निगम के एक बड़े अधिकारी शीतल मिस्त्री ने कहा, “हम थोड़ा इंतजार करेंगे। अगर यूसुफ भाई ने दीवार नहीं हटाई, तो हम खुद कार्रवाई करेंगे।”
अब सवाल ये है कि यूसुफ भाई क्या करेंगे? क्या वो मान जाएंगे और दीवार हटा देंगे? या फिर कहेंगे, “भाई, गलतफहमी हो गई।” या फिर कोई और ही दांव खेलेंगे? देखो यार, जब आप मशहूर होते हो, तो हर छोटी-बड़ी बात पर लोगों की नजर रहती है। यूसुफ भाई को अब ये साबित करना होगा कि वो सिर्फ क्रिकेट में ही नहीं, बल्कि जिंदगी में भी फेयर प्ले में यकीन रखते हैं।
हम सभी जानते हैं कि गलतियां हो जाती हैं। लेकिन असली बात ये है कि उन गलतियों को कैसे सुधारा जाए। यूसुफ भाई के लिए यह वक्त है अपनी ईमानदारी साबित करने का। अगर उन्होंने सच में कुछ गलत किया है, तो उसे मानकर सुधार लें। इससे न सिर्फ उनकी इज्जत बढ़ेगी, बल्कि लोगों को भी एक अच्छा संदेश जाएगा।
तो दोस्तों, इंतजार करते हैं कि यूसुफ पठान इस ‘बाउंसर’ का कैसे सामना करते हैं। क्या वो इसे बाउंड्री के बाहर भेज पाएंगे या फिर बोल्ड हो जाएंगे, ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है, चाहे क्रिकेट हो या राजनीति, खेल भावना बरकरार रखनी चाहिए। नहीं तो जनता की अदालत में आउट होना पक्का है!
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