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West Bengal renaming demand: पश्चिम बंगाल का नाम बदलना क्यों चाहती हैं ममता बनर्जी? कारण जानकर चौंक जाएंगे!

West Bengal renaming demand: पश्चिम बंगाल का नाम बदलना क्यों चाहती हैं ममता बनर्जी? कारण जानकर चौंक जाएंगे!

West Bengal renaming demand: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर राज्य का नाम बदलकर “बांग्ला” करने की मांग उठाई है। यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि उनकी सरकार 2011 से ही इस विषय पर चर्चा कर रही है। लेकिन आखिर क्यों ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल का नाम बदलना चाहती हैं? क्या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति है, या सिर्फ प्रशासनिक बदलाव की मांग है?

TMC का तर्क: “इतिहास और संस्कृति से जुड़ा बदलाव”

ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) का तर्क है कि “पश्चिम बंगाल” नाम आज के समय में अप्रासंगिक हो गया है। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, बंगाल दो हिस्सों में बंट गया था—एक भारतीय बंगाल (पश्चिम बंगाल) और दूसरा पाकिस्तान का पूर्वी बंगाल (जो 1971 में बांग्लादेश बना)। अब जब पूर्वी पाकिस्तान नहीं रहा, तो “पश्चिम बंगाल” नाम रखने का कोई तर्क नहीं बचा।

टीएमसी के सांसदों का कहना है कि “बांग्ला” नाम राज्य की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को बेहतर दर्शाता है।

क्या सिर्फ नाम बदलने से राज्य को कोई फायदा होगा?

नाम बदलने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कुछ अजीबोगरीब तर्क भी चर्चा का विषय बने हैं। उन्होंने कहा कि:

  1. राज्य का नाम ‘W’ से शुरू होने के कारण सूची में सबसे नीचे आता है – जब किसी मीटिंग, कॉन्फ्रेंस या परीक्षा में राज्यों के नाम अल्फाबेटिकल क्रम में लिए जाते हैं, तो पश्चिम बंगाल को सबसे आखिर में रखा जाता है। इससे राज्य की प्राथमिकता कम हो जाती है।
  2. छात्रों और प्रतियोगियों को लाभ मिलेगा – ममता बनर्जी का दावा है कि अगर राज्य का नाम “बांग्ला” हो जाता है, तो यहां के छात्रों और प्रतियोगिता में भाग लेने वालों को फायदा होगा।
  3. प्रशासनिक पहचान को और मजबूती मिलेगी – उनका मानना है कि “पश्चिम” शब्द जोड़ने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे राज्य की पहचान कमजोर होती है।

राजनीतिक समीकरण और नाम बदलने की जिद

विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी अहम है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में क्षेत्रीय पहचान एक बड़ा मुद्दा रहा है। ममता बनर्जी का यह कदम बंगाली अस्मिता को मजबूत करने और टीएमसी के वोट बैंक को और मजबूत करने की रणनीति हो सकता है।

नाम बदलने की राह में क्या हैं अड़चनें?

हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की मंजूरी नहीं दी है। 2018 में पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सर्वसम्मति से नाम परिवर्तन प्रस्ताव पास किया था, लेकिन केंद्र से इसे हरी झंडी नहीं मिली।

भारत में राज्यों के नाम बदलने के उदाहरण

भारत में पहले भी राज्यों और शहरों के नाम बदले गए हैं:

  • 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर “ओडिशा” कर दिया गया था।
  • बॉम्बे का नाम बदलकर “मुंबई”, मद्रास का “चेन्नई”, और बेंगलोर का “बेंगलुरु” किया गया था।

लेकिन पश्चिम बंगाल का नाम बदलने का मुद्दा अभी भी लटका हुआ है।

West Bengal renaming demand

ममता बनर्जी की यह मांग सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। नाम बदलने से राज्य की पहचान में बदलाव जरूर आएगा, लेकिन इसका सीधा लाभ कितना मिलेगा, यह सवाल अभी भी बना हुआ है।


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