हर साल 9 जनवरी को भारत में प्रवासी भारतीय दिवस (Pravasi Bharatiya Divas) मनाया जाता है। ये दिन प्रवासी भारतीयों के योगदान को सराहने और उनके साथ देश की प्रगति में जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इस साल 2025 में ये दिवस विशेष तौर पर मनाया जा रहा है, जिसमें दुनियाभर से भारतीय मूल के लोग हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन का सीधा संबंध महात्मा गांधी से है? चलिए, इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्त्व को विस्तार से समझते हैं।
महात्मा गांधी से जुड़ा प्रवासी भारतीय दिवस
9 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 1915 में इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। वे प्रवासी भारतीयों के अधिकारों के लिए भी लड़े और उनका नेतृत्व किया। उनके संघर्षों की प्रेरणा से ये दिवस प्रवासी भारतीयों और उनके योगदान को सम्मानित करने का प्रतीक बन गया।
कब हुई शुरुआत?
पहला प्रवासी भारतीय दिवस 2003 में मनाया गया। हालांकि, शुरुआती वर्षों में इसे हर साल मनाया जाता था। 2015 के बाद इसे हर दो साल पर आयोजित करने का फैसला किया गया, लेकिन 2023 से इसे हर वर्ष मनाने की परंपरा फिर शुरू हुई। यह आयोजन अब भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विचार-विमर्श और प्रवासी भारतीयों को सम्मानित करने का प्रमुख मंच बन चुका है।
इस साल की थीम
हर साल इस दिवस की एक विशिष्ट थीम होती है। 2025 में, इसकी थीम है – ‘विकसित भारत के लिए प्रवासी भारतीयों का योगदान’। इस विषय के तहत, भारत सरकार प्रवासी समुदाय को देश के विकास में सक्रिय भागीदार बनाने का आह्वान करती है।
प्रवासी भारतीय दिवस का उद्देश्य
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य प्रवासी भारतीयों के साथ संवाद स्थापित करना और भारत की प्रगति में उनके योगदान को प्रेरित करना है। यह न केवल उनकी उपलब्धियों को मान्यता देने का अवसर है, बल्कि भविष्य के लिए आर्थिक और सांस्कृतिक साझेदारी को भी मजबूत करता है।
विश्वभर से भारतीयों की भागीदारी
प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में हर साल दुनिया के 50 से अधिक देशों के भारतीय हिस्सा लेते हैं। यह मंच उन्हें अपनी विशेषज्ञता और अनुभव भारत के हित में साझा करने का अवसर प्रदान करता है।
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