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मोदी का शपथ ग्रहण: चीन-पाक को छोड़, छोटे देशों को बुलाने की मोदी की बड़ी चाल!

मोदी का शपथ ग्रहण: चीन-पाक को छोड़, छोटे देशों को बुलाने की मोदी की बड़ी चाल!

मोदी का शपथ ग्रहण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और गहरी रणनीति के चर्चे हर तरफ होते हैं। इस बार उनके शपथ ग्रहण समारोह में खास बात ये है कि उन्होंने चीन और पाकिस्तान जैसे बड़े पड़ोसी देशों को बुलाने की बजाय मॉरिशस और सेशल्स जैसे छोटे द्वीपीय देशों को निमंत्रण भेजा है। आइए, समझते हैं इसके पीछे की रणनीति।

छोटे द्वीपीय देशों की अहमियत

मोदी सरकार ने इस बार हिंद महासागर के छोटे देशों जैसे मॉरिशस और सेशल्स को आमंत्रित किया है। यह कदम महज सांकेतिक नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ी रणनीति छिपी है।

  1. भौगोलिक महत्व: हिंद महासागर में स्थित ये देश भारत के समुद्री व्यापार के लिए अहम हैं। चीन तेजी से अपनी नौसेना का विस्तार कर रहा है और हिंद महासागर में अपनी ताकत बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत को भी अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए इन देशों का समर्थन चाहिए।
  2. सांस्कृतिक जुड़ाव: मॉरिशस और सेशल्स में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। वहां के लोग भारत के साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव महसूस करते हैं, जो रिश्तों को मजबूत बनाता है।

पड़ोसियों की अहमियत

इस बार शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, मॉरिशस और सेशल्स के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे। पाकिस्तान और चीन को छोड़कर इन देशों को बुलाने के पीछे की सोच बहुत ही स्पष्ट है।

  1. बांग्लादेश: बांग्लादेश के साथ भारत का रिश्ता हमेशा से गहरा रहा है। भारत की मदद के बिना बांग्लादेश की कई बड़ी परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकतीं।
  2. नेपाल: नेपाल और भारत का रिश्ता धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों स्तर पर बेहद खास है। नेपाल में हिंदू धर्म स्थलों की बड़ी संख्या है जो इस रिश्ते को और मजबूत बनाती है।
  3. भूटान: भूटान भारत की सुरक्षा पर पूरी तरह निर्भर है। चीन के साथ डोकलाम विवाद के समय भी भारत ने ही भूटान की सुरक्षा सुनिश्चित की थी।
  4. श्रीलंका: श्रीलंका के साथ भारत का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ता है। हिंदू और बौद्ध धर्म स्थलों की साझा विरासत इन रिश्तों को और मजबूत बनाती है।
  5. मॉरिशस और सेशल्स: इन देशों में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में हैं और ये दोनों देश भारत की ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region) परियोजना में अहम भूमिका निभाते हैं।

चीन और पाकिस्तान को दूर क्यों रखा?

चीन और पाकिस्तान को इस बार शपथ ग्रहण समारोह से दूर रखना भी एक सोची-समझी रणनीति है।

  1. चीन: चीन की मंशा हिंद महासागर में अपनी नौसेना का बड़ा बेड़ा तैनात करने की है, जिससे वहां के देशों पर दबाव बना सके। भारत इसे रोकने के लिए हिंद महासागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है।
  2. पाकिस्तान: पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं। पहले शपथ ग्रहण में पाकिस्तान को बुलाने का अनुभव अच्छा नहीं रहा, इसलिए इस बार उसे न्योता नहीं दिया गया।

भारत की रणनीति

मोदी सरकार की इस रणनीति का मकसद साफ है – हिंद महासागर में छोटे द्वीपीय देशों के साथ मजबूत संबंध बनाकर चीन को टक्कर देना। इसके अलावा, इन देशों को विशेष तवज्जो देकर भारत अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकता है।

मोदी सरकार का यह कदम बताता है कि वह न केवल बड़ी योजनाओं पर ध्यान दे रही है, बल्कि छोटे-छोटे कदम उठाकर भी देश की सुरक्षा और विकास को प्राथमिकता दे रही है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इन देशों के साथ भारत की साझेदारी किस तरह से फलती-फूलती है।

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