महाराष्ट्र की 2023 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पुणे पुलिस ने उनके द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को प्रस्तुत किए गए मेडिकल सर्टिफिकेट्स की सत्यता की जांच करने का निर्णय लिया है। इन सर्टिफिकेट्स में से एक विशेष रूप से दृष्टि संबंधी दिव्यांगता को दर्शाता है, जो इस मामले को और अधिक जटिल बना देता है।
पूजा खेडकर का मामला दिन-प्रतिदिन अधिक उलझता जा रहा है। उन पर शारीरिक दिव्यांगता का अनुचित लाभ उठाने और पुणे में अपनी तैनाती के दौरान विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों के चलते उन्हें पुणे से वाशिम जिले में स्थानांतरित कर दिया गया है, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है।
मुख्य आयुक्त दिव्यांगजन कार्यालय ने पुणे पुलिस और जिलाधिकारी को खेडकर द्वारा प्रस्तुत किए गए मेडिकल सर्टिफिकेट्स की जांच करने के निर्देश दिए हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि वे इन सर्टिफिकेट्स की प्रामाणिकता की जांच करेंगे। यह जांच यह पता लगाने के लिए की जाएगी कि इन सर्टिफिकेट्स को कहां से प्राप्त किया गया और किस चिकित्सक या अस्पताल ने इन्हें प्रमाणित किया।
इस मामले में एक और रोचक तथ्य यह सामने आया है कि खेडकर ने 2007 में एक निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया था। यह जानकारी उनके वर्तमान मामले को और अधिक संदिग्ध बनाती है, क्योंकि यह उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए विभिन्न मेडिकल दस्तावेजों के बीच विरोधाभास को दर्शाती है।
पूजा खेडकर पर यह आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी को कपटपूर्ण तरीके से मेडिकल सर्टिफिकेट्स देकर सिविल सेवा परीक्षा में चयन पाने का प्रयास किया। उन्होंने खुद को न केवल शारीरिक रूप से दिव्यांग बताया, बल्कि ओबीसी समुदाय से होने का भी दावा किया। इसके अतिरिक्त, पुणे में तैनाती के दौरान विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने का भी उन पर आरोप है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह पूजा खेडकर से संबंधित मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। यह समिति खेडकर की उम्मीदवारी की विस्तृत जांच करेगी और दो सप्ताह के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस बीच, खेडकर के परिवार पर भी कानूनी दबाव बढ़ता जा रहा है। उनकी माता मनोरमा खेडकर और पिता दिलीप खेडकर के विरुद्ध भूमि विवाद का एक मामला दर्ज किया गया है, जिसके बाद से दोनों से संपर्क नहीं हो पाया है।
आईएएस पूजा खेडकर का मामला भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन प्रक्रिया और नियुक्ति के बाद के आचरण पर गंभीर सवाल खड़े करता है। पुणे पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच और केंद्र सरकार की समिति की रिपोर्ट इस मामले में निर्णायक भूमिका निभाएंगी। इन जांचों के परिणाम न केवल पूजा खेडकर के भविष्य को प्रभावित करेंगे, बल्कि संपूर्ण सिविल सेवा चयन प्रक्रिया में सुधार लाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालेंगे। तब तक, खेडकर को अपने ऊपर लगे गंभीर आरोपों का सामना करना होगा और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
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