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आखिरी 4 घंटों में लाल बहादुर शास्त्री के साथ क्या हुआ, मृत्यु पर आज भी रहस्य

लाल बहादुर शास्त्री
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11 जनवरी 1966 की सर्द रात, ताशकंद। भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उस ऐतिहासिक दिन की समाप्ति के कुछ घंटों बाद, रात 1:32 बजे, शास्त्री जी का अचानक निधन हो गया। यह घटना जितनी दुखद थी, उतनी ही रहस्यमयी भी। उनकी मृत्यु से जुड़े सवाल आज भी अनुत्तरित हैं। इस लेख में हम उनके जीवन के उन अंतिम चार घंटों की घटनाओं को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे।

ताशकंद समझौता और तनाव (Tashkent Agreement and the Stress)
लाल बहादुर शास्त्री पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर करने ताशकंद पहुंचे थे। भारत-पाक युद्ध के बाद यह समझौता ऐतिहासिक था, लेकिन यह शास्त्री जी पर भारी दबाव लेकर आया। समझौते को लेकर देश में कई सवाल उठ रहे थे। उनकी बेटी कुसुम और पत्नी ललिता को भी यह समझौता अच्छा नहीं लगा।

शास्त्री जी की रात की शुरुआत इसी तनाव के साथ हुई। उन्होंने अपने सहयोगियों और परिवार से बातचीत की। परिवार से हुई इस बातचीत ने उन्हें और ज्यादा विचलित कर दिया।

रात्रि भोज के बाद की घटनाएं (Events After the Dinner)
समझौते के बाद सोवियत नेता अलेक्सी कोशिगिन ने रात्रि भोज का आयोजन किया। यहां शास्त्री जी स्वस्थ और सामान्य दिख रहे थे। भोजन के बाद उन्होंने अपने सहयोगियों से कुछ सामान्य बातें कीं और फिर अपने कमरे में चले गए।

उस रात करीब 11 बजे, उन्होंने अपनी बेटी और पत्नी से फोन पर बात की। बेटी ने साफ कहा कि समझौता उन्हें और उनकी मां को पसंद नहीं आया। जब शास्त्री जी ने अपनी पत्नी से बात करने की कोशिश की, तो वह फोन पर आने को तैयार नहीं हुईं। यह घटना उन्हें बेहद आहत कर गई।

सोने से पहले की आदतें (Nightly Rituals)
रात में सोने से पहले शास्त्री जी ने हमेशा की तरह दूध लिया। उनके सहयोगी रामनाथ ने उन्हें यह दूध दिया। इसके बाद उन्होंने रामनाथ को कमरे में सोने की अनुमति नहीं दी और कहा कि वह अपने कमरे में जाकर आराम करें।

रात 1:20 बजे की घटना (The Event at 1:20 AM)
रात करीब 1:20 बजे, शास्त्री जी अपने सहयोगी जगन्नाथ सहाय के दरवाजे पर आए। उन्होंने डॉक्टर को बुलाने की बात कही और वापस अपने कमरे में लौट गए। वहां पहुंचते ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की और बेहोश हो गए।

डॉक्टरों का प्रयास और निधन (Doctors’ Efforts and Demise)
डॉ. आर.एन. चुग, जो भारतीय दल के साथ थे, तुरंत वहां पहुंचे। उन्होंने उनकी नाड़ी देखी और CPR देने की कोशिश की। इसके बाद एक रूसी डॉक्टर भी वहां पहुंची। दोनों ने मिलकर काफी प्रयास किए, लेकिन 1:32 बजे यह घोषणा कर दी गई कि शास्त्री जी अब नहीं रहे।

कमरे का दृश्य और रहस्य (The Room and the Mystery)
शास्त्री जी के कमरे में एक लुढ़का हुआ थर्मस मिला, जिससे यह संकेत मिलता है कि उन्होंने शायद पानी लेने की कोशिश की थी। कमरे में घंटी न होने के कारण वह अपने सहायकों को समय पर नहीं बुला सके।

मौत पर सवाल और विवाद (Questions and Controversies)
शास्त्री जी की मृत्यु को लेकर कई सवाल उठे। उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने पोस्टमार्टम की मांग की, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संबंध खराब होने के डर से ऐसा नहीं किया गया। यह भी कहा गया कि उनकी मृत्यु हृदयाघात से नहीं, बल्कि जहर देने से हुई हो सकती है।

ताशकंद से दिल्ली और अंतिम संस्कार (From Tashkent to Delhi and Funeral)
शास्त्री जी का पार्थिव शरीर ताशकंद से दिल्ली लाया गया। उनकी पत्नी चाहती थीं कि अंतिम संस्कार इलाहाबाद में हो, लेकिन राष्ट्रीय सम्मान के चलते इसे दिल्ली में आयोजित किया गया।

शास्त्री जी की मौत का सबक (Lesson from Shastri Ji’s Death)
लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु न केवल एक व्यक्तिगत नुकसान थी, बल्कि यह भारत के राजनीतिक इतिहास का एक गहरा रहस्य बन गई। उनकी सादगी और ईमानदारी आज भी प्रेरणा देती है। लेकिन उनकी मृत्यु के पीछे के कारणों को लेकर आज भी सवाल बने हुए हैं।

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