ऑनटीवी स्पेशलधर्म-राशिफल

Sadhu Akhada Government Process: कुंभ में कैसे चुनी जाती है संतों की ‘सरकार’? किस प्रक्रिया से होता गठन, किन्हें दी जाती है ‘महंतों’ की जिम्मेदारी

Sadhu Akhada Government Process: कुंभ में कैसे चुनी जाती है संतों की 'सरकार'? किस प्रक्रिया से होता गठन, किन्हें दी जाती है 'महंतों' की जिम्मेदारी

Sadhu Akhada Government Process: जब भी महाकुंभ का आयोजन होता है, यह केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं होता, बल्कि साधुओं के अखाड़ों के लिए यह एक बड़ा लोकतांत्रिक मंच भी बनता है। यहां संतों की सरकार का गठन किया जाता है। यह प्रक्रिया कई परंपराओं और नियमों के अंतर्गत होती है। इस लेख में, हम इस अनूठी प्रक्रिया के हर पहलू को विस्तार से समझेंगे।

महाकुंभ में संतों की सरकार का महत्व

महाकुंभ केवल आध्यात्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि संतों के अखाड़ों में एक नई कार्यकारिणी यानी सरकार चुनने का अवसर भी है। यह सरकार हर 6 साल में बनती है और इसका कार्यकाल अगले कुंभ तक रहता है। इस बार प्रयागराज के महाकुंभ में भी यही प्रक्रिया दोहराई जा रही है।

सरकार का गठन कैसे होता है?

साधुओं के प्रत्येक अखाड़े में आठ महंतों का चयन किया जाता है। इन आठ महंतों के समूह को “अष्टकौशल” कहते हैं। इसके बाद, ये महंत आठ उप-महंतों का चयन करते हैं। इस प्रकार कुल 16 सदस्यीय समिति तैयार होती है।

इन महंतों को कई जिम्मेदारियां दी जाती हैं। जैसे, अखाड़े के कोष का प्रबंधन, धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन और अन्य प्रशासनिक कार्य। इन 16 सदस्यों की समिति आगे अन्य पदाधिकारियों का चयन करती है, जो अखाड़े की रोज़मर्रा की व्यवस्था संभालते हैं।

पंचायती व्यवस्था का कार्यकाल

महाकुंभ के दौरान जब नई सरकार का गठन नहीं हुआ होता, तब पंचायती व्यवस्था लागू होती है। यह ठीक वैसी ही है जैसे देश में राष्ट्रपति शासन लागू होता है। इस पंचायती व्यवस्था को पांच प्रमुख अखाड़ों द्वारा संचालित किया जाता है। इनमें पंचायती अखाड़ा (Panchayati Akhada), महानिर्वाणी अखाड़ा (Mahanirvani Akhada) और आनंद अखाड़ा (Anand Akhada) शामिल हैं।

महंत बनने की प्रक्रिया

महंत बनने के लिए साधु का लंबे समय तक अखाड़े के प्रति सेवा और योगदान होना आवश्यक है। नए महंत के चयन में साधु का तप और उसकी प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लोकतांत्रिक मूल्यों की झलक

महाकुंभ में साधुओं की सरकार का गठन भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा का अद्वितीय उदाहरण है। यह प्रक्रिया बताती है कि भारतीय संस्कृति में धर्म और लोकतंत्र किस तरह से एक-दूसरे में समाहित हैं।

नए महंतों की जिम्मेदारी

महंत बनने के बाद संतों के विभिन्न कार्यक्षेत्र निर्धारित किए जाते हैं। महंतों का मुख्य कार्य अखाड़ों की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाना और आने वाली पीढ़ी को परंपरा से जोड़ना होता है।

महाकुंभ का यह अनूठा पहलू, जहां संतों की सरकार चुनी जाती है, भारतीय संस्कृति और सनातनी परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह प्रक्रिया केवल साधुओं की प्रशासनिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि धर्म और लोकतंत्र के मेल का प्रतीक भी है।


#KumbhMela, #SadhuAkhadas, #ElectionProcess, #IndianCulture, #MahantTradition

ये भी पढ़ें: Saif Ali Khan Attack: सैफ अली खान पर हमला करने वाला बांग्लादेशी, पहचान छुपाने के लिए बदल रहा था नाम, पुलिस ने किए कई खुलासे

You may also like