Shinde Camp vs Kunal Kamra: महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय व्यंग्य और कविता के जरिए आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। हास्य कलाकार कुणाल कामरा और शिंदे गुट के नेता शहाजीबापू पाटिल के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। एक ओर कुणाल कामरा ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर व्यंग्यात्मक गीत गाया, तो दूसरी ओर शहाजीबापू पाटिल ने कविता के माध्यम से करारा जवाब दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
कुणाल कामरा का व्यंग्य और बढ़ता विवाद
कुणाल कामरा ने हाल ही में एकनाथ शिंदे के राजनीतिक विद्रोह और मौजूदा सरकार पर व्यंग्य करते हुए एक कविता प्रस्तुत की। इस कविता में उन्होंने शिंदे के सत्ता में आने के तरीके और उनकी राजनीतिक नीतियों पर सवाल उठाए। जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, शिंदे समर्थकों ने नाराजगी जताई। कुछ समर्थकों ने इसे “महाराष्ट्र के नेताओं का अपमान” करार दिया।
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सरकार ने कुणाल कामरा को सुरक्षा प्रदान की। उन्होंने खुद दावा किया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं और उनकी सुरक्षा को खतरा है। इस बीच, कामरा का स्टूडियो बुलडोजर कार्रवाई की चपेट में आ गया। उनके स्टूडियो के साथ उस होटल को भी तोड़ दिया गया जिसमें वह स्थित था। यह कार्रवाई शिंदे गुट की नाराजगी को और अधिक दर्शाने लगी।
शहाजीबापू पाटिल का जवाबी वार
शिंदे गुट के नेता शहाजीबापू पाटिल अपने खास अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उनके बयान “क्या पेड़ है… क्या पहाड़ है…” पहले ही काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। अब उन्होंने कुणाल कामरा की कविता का जवाब देने के लिए खुद कविता का सहारा लिया।
उन्होंने कहा—
“मातोश्री के आंगन में कामरा आया,
सुपारी लेकर गीत गाया।
उद्धवजी को खुशी आया,
लेकिन ठाणे का टाइगर,
आंखों में अंगार लाया।”
यह कविता सीधे तौर पर उद्धव ठाकरे और कुणाल कामरा पर निशाना साधती है। पाटिल ने कहा कि राज्य की जनता को कामरा के शब्दों से ठेस पहुंची है। उन्होंने घोषणा की कि वे संगोला में कुणाल कामरा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगे।
नए कानून की मांग
शहाजीबापू पाटिल ने एक और बड़ा बयान देते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से अनुरोध करेंगे कि ऐसा कानून लाया जाए जो महापुरुषों या नेताओं का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता अपने नेताओं का सम्मान करती है और ऐसे किसी भी अपमान को सहन नहीं करेगी।
शिंदे गुट और बजट पर टिप्पणी
इसी बीच, महाराष्ट्र में महागठबंधन सरकार का पहला बजट पेश किया गया। लेकिन इसमें किसानों की कर्ज माफी और लाडकी बहिन योजना के लिए अतिरिक्त फंड का जिक्र नहीं था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शहाजीबापू पाटिल ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को दिल्ली दरबार से अधिक फंड लाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा—
“हमने किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था। अब अगर यह पूरा नहीं होता, तो किसानों को लगेगा कि उनके साथ धोखा हुआ है। सरकार को तुरंत इस पर निर्णय लेना चाहिए।”
इसके अलावा, उन्होंने वित्त मंत्री अजित पवार से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि लाडकी बहिन योजना को जारी रखा जाए।
महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल
इस पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। जहां एक तरफ शिंदे गुट मजबूती से अपना पक्ष रख रहा है, वहीं दूसरी ओर कुणाल कामरा के समर्थन में कई विपक्षी नेता भी आ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद क्या नया मोड़ लेता है।