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Why Pakistan Gets Loans: पाकिस्तान को क्यों मिलता है बार-बार कर्ज? वैश्विक संस्थाओं की क्या मजबूरी? जानें पूरी कहानी

Why Pakistan Gets Loans: पाकिस्तान को क्यों मिलता है बार-बार कर्ज? वैश्विक संस्थाओं की क्या मजबूरी? जानें पूरी कहानी

Why Pakistan Gets Loans: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लंबे समय से कमज़ोर रही है, फिर भी अंतरराष्ट्रीय संगठन उसे बार-बार कर्ज देते हैं। यह सवाल हर भारतीय के मन में उठता है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि वैश्विक संस्थाएं (Global Institutions, वैश्विक संस्थाएं) पाकिस्तान को कर्ज देती रहती हैं। हाल ही में एशियन डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank, एशियन डेवलपमेंट बैंक) ने पाकिस्तान को 80 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले महीने 1 अरब डॉलर की तत्काल मदद और 1.3 अरब डॉलर का नया कर्ज मंजूर किया। भारत ने इसका विरोध किया, लेकिन फिर भी कर्ज मिल गया। आइए, इसकी वजहों को आसान भाषा में समझते हैं।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कई सालों से संकट में है। 2023 में इसका विदेशी मुद्रा भंडार 3 अरब डॉलर तक गिर गया था, जो आयात के लिए भी पर्याप्त नहीं था। 2022 की बाढ़ ने 30 अरब डॉलर का नुकसान किया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। ऐसे में वैश्विक संस्थाएं (Global Institutions, वैश्विक संस्थाएं) पाकिस्तान को डूबने से बचाने के लिए कर्ज देती हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि अगर पाकिस्तान आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट गया, तो इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। कर्ज देकर ये संगठन चाहते हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था किसी तरह चलती रहे।

पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति उसे बहुत महत्वपूर्ण बनाती है। यह देश चीन, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका, चाहते हैं कि पाकिस्तान उनके प्रभाव में रहे। इसके लिए वे कर्ज को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं। चीन ने भी चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत पाकिस्तान को भारी कर्ज दिया है। इस वजह से पश्चिमी देशों को लगता है कि अगर वे कर्ज नहीं देंगे, तो पाकिस्तान पूरी तरह चीन के प्रभाव में चला जाएगा। इस रणनीतिक खेल में कर्ज देना एक तरह से उनके अपने हितों को सुरक्षित करने का तरीका है।

कर्ज देने वाली संस्थाएं, जैसे IMF और एशियन डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank, एशियन डेवलपमेंट बैंक), सख्त शर्तों के साथ पैसा देती हैं। इन शर्तों में टैक्स बढ़ाना, सब्सिडी हटाना और सरकारी कंपनियों को बेचना शामिल है। ये शर्तें पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कुछ समय के लिए स्थिर करती हैं, लेकिन लंबे समय में यह देश के लिए बोझ बन जाती हैं। फिर भी, ये शर्तें बड़े देशों के लिए फायदेमंद होती हैं, क्योंकि इससे उनकी कंपनियां पाकिस्तान की सरकारी संपत्तियों को खरीद सकती हैं। इस तरह, कर्ज देना केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम भी है।

भारत ने कई बार इन कर्जों का विरोध किया है, खासकर हाल के पहलगाम हमले के बाद। भारत का कहना है कि यह पैसा आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन उसका विरोध ज्यादा असरदार नहीं हो पाता। इसका कारण यह है कि IMF में भारत का वोटिंग शेयर कम है, जबकि अमेरिका और यूरोपीय देशों का दबदबा ज्यादा है। 2022 में पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से हटा लिया गया, जिसके बाद उसे कर्ज मिलना और आसान हो गया। इसके अलावा, चीन का प्रभाव भी भारत के विरोध को कमज़ोर करता है।

कर्ज देना बड़े देशों के लिए एक रणनीतिक खेल है। अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान उसकी अफगान नीति का समर्थन करे, जबकि चीन CPEC के जरिए दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ मजबूत करता है। 1980 के दशक में अमेरिका ने अफगान युद्ध के दौरान पाकिस्तान को भारी कर्ज दिए थे। आज भी यह खेल जारी है, जहां कर्ज देकर ये देश न केवल पाकिस्तान की नीतियों को प्रभावित करते हैं, बल्कि भारत और चीन के बीच क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं।

पाकिस्तान का कर्ज अब लगभग 130 अरब डॉलर हो चुका है। अगर यह देश डिफॉल्ट करता है, तो वैश्विक बैंकों को भारी नुकसान होगा। यही वजह है कि IMF और ADB जैसी संस्थाएं उसे बार-बार कर्ज देती हैं। इसे ‘Too Big to Fail’ की स्थिति कहते हैं, जहां किसी देश का ढहना वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति सही नहीं है। विदेशी मामलों के जानकार सुशांत सरीन कहते हैं कि ये कर्ज पाकिस्तान की सेना को मजबूत करते हैं, न कि सुधारों को। इसी तरह, हुसैन हक्कानी का कहना है कि IMF का बार-बार कर्ज देना पाकिस्तान को ICU में रखने जैसा है, जो लंबे समय में गलत नीति है।

पाकिस्तान को कर्ज मिलने की यह कहानी केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक भी है। यह हमें बताती है कि वैश्विक मंच पर बड़े देश अपने हितों के लिए कैसे काम करते हैं। पाकिस्तान की कमज़ोर अर्थव्यवस्था और उसकी भौगोलिक स्थिति उसे कर्ज के इस चक्र में फंसाए रखती है।

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